मुगलों के दौर में शेर-ओ-शायरी न सिर्फ फली और फूली, बल्कि शायरों को दरबार में भी काफी सम्मान दिया जाता था।
Image Source : File मीर तकी मीर, मिर्जा गालिब और मिर्जा जौक जैसे तमाम शायरों ने अपनी शायरी का लोहा मनवाया था।
Image Source : File लेकिन इन सबके बीच एक शायर ऐसा भी हुआ जिसने मुगल बादशाह की नाक में दम कर दिया था।
Image Source : File इस शायर का नाम था जाफर जाटली, जो दिल्ली के पास नारनौल नाम की जगह पर 1658 में पैदा हुए थे।
Image Source : File जाफर जाटली अपने जमाने में काफी लोकप्रिय थे, लेकिन शायरों की बिरादरी में उन्हें खास पसंद नहीं किया जाता था।
Image Source : File औरंगजेब के जमाने में पैदा हुए और फले-फूले जाटली के मुगल बादशाह से रिश्ते खट्टे-मीठे ही थे।
Image Source : File औरंगजेब की मौत के बाद बने मुगल बादशाहों पर जाटली की कलम कुछ ज्यादा ही मेहरबान रही।
Image Source : File मुगल बादशाह बहादुर शाह के बारे में उन्होंने इतनी अश्लील बातें लिखीं कि उन्हें दरबार के कोप का सामना करना पड़ा।
Image Source : File हालांकि कुछ लोग उन्हें अश्लील शायर नहीं मानते और कहते हैं कि वह आम आदमी की भाषा में तत्कालीन परिस्थितियों पर लिखते थे।
Image Source : File लेकिन जाहिर सी बात है कि मुगलों का ऐसा नहीं सोचना था, और जाटली को इसी बात की कीमत चुकानी पड़ी।
Image Source : File जाटली के 'अश्लील' शेरों से तंग आकर मुगल बादशाह फार्रूखसियार ने उन्हें 1713 में फांसी की सजा दे दी।
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