स्वामी विवेकानंद को किनसे मिला ज्ञान, क्या है सबसे बड़ा रहस्य?

स्वामी विवेकानंद को किनसे मिला ज्ञान, क्या है सबसे बड़ा रहस्य?

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12 जनवरी की तारीख को स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाई जाती है।

12 जनवरी की तारीख को स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाई जाती है।

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1863 में जन्में स्वामी विवेकानंद ने पूरी दुनिया में भारत को सम्मान दिलाया था।

1863 में जन्में स्वामी विवेकानंद ने पूरी दुनिया में भारत को सम्मान दिलाया था।

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उनका बचपन में नाम नरेंद्र दत्त था और किशोरावस्था में वह नास्तिकता की ओर चले गए थे।

उनका बचपन में नाम नरेंद्र दत्त था और किशोरावस्था में वह नास्तिकता की ओर चले गए थे।

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हालांकि, रामकृष्ण परमहंस का शिष्य बनने के बाद उन्हें ज्ञान मिला और वे स्वामी विवेकानंद कहलाए।

हालांकि, रामकृष्ण परमहंस का शिष्य बनने के बाद उन्हें ज्ञान मिला और वे स्वामी विवेकानंद कहलाए।

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4 जुलाई 1902 को स्वामी विवेकानंद ने 30 साल की उम्र में महासमाधि ली थी जो आज भी एक रहस्य है।

4 जुलाई 1902 को स्वामी विवेकानंद ने 30 साल की उम्र में महासमाधि ली थी जो आज भी एक रहस्य है।

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कई रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया जाता है कि उनकी मौत तीसरी बार दिल का दौरा पड़ने से हुई थी।

कई रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया जाता है कि उनकी मौत तीसरी बार दिल का दौरा पड़ने से हुई थी।

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कई रिपोर्ट्स में ये भी कहा जाता है कि विवेकानंद को कम उम्र में ही कई बिमारियां हुई थीं।

कई रिपोर्ट्स में ये भी कहा जाता है कि विवेकानंद को कम उम्र में ही कई बिमारियां हुई थीं।

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कहते हैं कि अपने जीवन के आखिरी दिन भी विवेकानंद ने ध्यान किया और इसी अवस्था में चल बसे थे।

कहते हैं कि अपने जीवन के आखिरी दिन भी विवेकानंद ने ध्यान किया और इसी अवस्था में चल बसे थे।

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स्वामी विवेकानंद की अंत्येष्टि बेलूर में गंगा के तट पर चन्दन की चिता पर की गयी थी।

स्वामी विवेकानंद की अंत्येष्टि बेलूर में गंगा के तट पर चन्दन की चिता पर की गयी थी।

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