दुनिया के ज्यादातर देशों में हर साल एक जनवरी को नया साल मनाते हैं।
Image Source : AP 1 जनवरी को नए साल की शुरुआत ग्रेगोरियन कैलेंडर के आधार पर होती है। मौजूदा समय में सबसे ज्यादा प्रचलित है।
Image Source : AP 45 ईसा पूर्व रोमन साम्राज्य में कैलेंडर का चलन था। लेकिन यह कैलेंडर बहुत जटिल था।
Image Source : PTI रोम के शासक जूलियस सीजर ने कैलेंडर में बदलाव किया। लंबे समय लोगों ने सीजर के कैलेंडर को ही अपनाया।
Image Source : PTI जूलियस सीजर के कैलेंडर में साल का पहला महीना मार्च और साल का आखिरी महीना फरवरी होता था।
Image Source : PTI खलोगीय गड़बड़ियों के कारण जूलियस सीजर के कैलेंडर में तिथियां मेल नहीं खाती थी।
Image Source : PTI साल 1582 में रोम के पोप ग्रेगोरी XIII ने जूलियन कैलेंडर में लीप ईयर की गलती खोजी।
Image Source : PTI इस कैलेंडर में 4 महीने 30 दिन, 7 महीने 31 दिन और फरवरी 28 दिन की होती है। 3 साल के बाद चौथे साल फरवरी 29 दिन की होती है।
Image Source : PTI 19वीं सदी तक ईसाई धर्म के शासकों का पूरी दुनिया पर वर्चस्व हो गया। ज्यादातर देशों ने ग्रेगोरियन कैलेंडर को ही अपना लिया।
Image Source : PTI भारत में ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत 1752 में हुई थी। इसके बाद से लोग भारत में नया साल एक जनवरी को मनाने लगे।
Image Source : pti देश आजाद होने के बाद भारत ने ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ हिंदू विक्रम संवत को भी अपना लिया।
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