पहले मार्च होता था साल का पहला महीना, जानिए क्यों करना पड़ा बदलाव

पहले मार्च होता था साल का पहला महीना, जानिए क्यों करना पड़ा बदलाव

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दुनिया के ज्यादातर देशों में हर साल एक जनवरी को नया साल मनाते हैं।

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1 जनवरी को नए साल की शुरुआत ग्रेगोरियन कैलेंडर के आधार पर होती है। मौजूदा समय में सबसे ज्यादा प्रचलित है।

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45 ईसा पूर्व रोमन साम्राज्य में कैलेंडर का चलन था। लेकिन यह कैलेंडर बहुत जटिल था।

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रोम के शासक जूलियस सीजर ने कैलेंडर में बदलाव किया। लंबे समय लोगों ने सीजर के कैलेंडर को ही अपनाया।

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जूलियस सीजर के कैलेंडर में साल का पहला महीना मार्च और साल का आखिरी महीना फरवरी होता था।

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खलोगीय गड़बड़ियों के कारण जूलियस सीजर के कैलेंडर में तिथियां मेल नहीं खाती थी।

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साल 1582 में रोम के पोप ग्रेगोरी XIII ने जूलियन कैलेंडर में लीप ईयर की गलती खोजी।

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इस कैलेंडर में 4 महीने 30 दिन, 7 महीने 31 दिन और फरवरी 28 दिन की होती है। 3 साल के बाद चौथे साल फरवरी 29 दिन की होती है।

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19वीं सदी तक ईसाई धर्म के शासकों का पूरी दुनिया पर वर्चस्व हो गया। ज्यादातर देशों ने ग्रेगोरियन कैलेंडर को ही अपना लिया।

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भारत में ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत 1752 में हुई थी। इसके बाद से लोग भारत में नया साल एक जनवरी को मनाने लगे।

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देश आजाद होने के बाद भारत ने ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ हिंदू विक्रम संवत को भी अपना लिया।

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