कलियुग का कर्ण था यह दानवीर सम्राट, अपने कपड़े तक कर देता था दान

कलियुग का कर्ण था यह दानवीर सम्राट, अपने कपड़े तक कर देता था दान

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भारत में गरीबों और अशक्तों को दान देने की एक समृद्ध परंपरा रही है।

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जब भी दानवीरों की बात आती है, तो कर्ण का नाम जरूर आता है।

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लेकिन कर्ण तो द्वापरयुग में थे, ऐसे में कलियुग का सबसे बड़ा दानवीर कौन है?

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यदि सम्राट हर्षवर्धन को कलियुग का कर्ण कहा जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।

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सम्राट हर्षवर्धन का जन्म सन 590 ईस्वी में हुआ था और वह 647 ईस्वी तक जीवित रहे थे।

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हर्षवर्धन ने पंजाब को छोड़कर लगभग पूरे उत्तर भारत पर 606 से 647 ईस्वी तक शासन किया था।

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16 साल की उम्र में सम्राट बने हर्षवर्धन को भारत के अंतिम हिंदू सम्राटों में गिना जाता है।

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सम्राट हर्षवर्धन अपने खजाने का एक बड़ा हिस्सा दान-पुण्य के लिए रखा करते थे।

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हर्षवर्धन की दान की आदतों के बारे में बाणभट्ट से लेकर ह्नेनसांग तक ने लिखा है।

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उनके राज में गरीबों के लिए आश्रय गृह बनवाए गए जिनमें खाने-पीने से लेकर दवा तक की सुविधा होती थी।

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सम्राट हर्षवर्धन प्रत्येक कुंभ मेले में प्रयागराज आते थे और अपनी सारी संपत्ति दान कर देते थे।

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कुंभ में वह अपने राजसी वस्त्र तक दान कर देते थे और अपनी बहन राजश्री से कपड़े मांगकर पहनते थे।

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सम्राट हर्षवर्धन न सिर्फ दानवीर थे बल्कि एक कुशल सेनापति थे।

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उन्होंने अपनी बड़ी बहन के पति की हत्या का भी बदला लिया था और उन्हें आत्मदाह करने से बचाया था।

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राजश्री एक कुशल प्रशासक थीं और हर्षवर्धन को उनका शासन चलाने में काफी मदद करती थीं।

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सम्राट हर्षवर्धन की मौत के बाद उनका समृद्ध साम्राज्य छिन्न-भिन्न हो गया।

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