हर साल रावण का वध क्यों किया जाता है? इसके पीछे छुपा है ये बड़ा रहस्य

हर साल रावण का वध क्यों किया जाता है? इसके पीछे छुपा है ये बड़ा रहस्य

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रावण बहुत ही ज्ञानी था लेकिन हर साल दशहरे के दिन रावण का पुतला जलाने की परंपरा है।

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सोने की लंका पर राज करने वाला रावण अस्त्र-शस्त्रों का पारंगत, तपस्वी और प्रकांड विद्वान था।

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कहा जाता है कि रावण ने 10 हजार साल तक ब्रह्माजी की तपस्या की थी और हर एक हजार साल में अपने एक सिर की आहुति दी थी।

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जब रावण दसवीं बार अपने सिर का आहूति दे रहा था तो ब्रह्माजी प्रसन्न हुए और उससे वरदान मांगने को कहा।

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रावण ने ब्रह्मा जी से ऐसा वर मांग लिया जिससे उसे मारना किसी के लिए भी मुश्किल था।

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रावण का वध बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है। उसका वध उसके अहंकार और क्रोध के कारण हुआ था, इसीलिए हर साल उसका दहन किया जाता है।

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रावण के दस सिर छह शास्त्रों और चार वेदों के प्रतीक हैं।

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रावण के 10 सिर उसकी मानसिक शक्ति को दर्शाते हैं जो एक औसत इंसान की मानसिक शक्ति से 10 गुना अधिक थी।

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