रावण बहुत ही ज्ञानी था लेकिन हर साल दशहरे के दिन रावण का पुतला जलाने की परंपरा है।
Image Source : social media सोने की लंका पर राज करने वाला रावण अस्त्र-शस्त्रों का पारंगत, तपस्वी और प्रकांड विद्वान था।
Image Source : social media कहा जाता है कि रावण ने 10 हजार साल तक ब्रह्माजी की तपस्या की थी और हर एक हजार साल में अपने एक सिर की आहुति दी थी।
Image Source : social media जब रावण दसवीं बार अपने सिर का आहूति दे रहा था तो ब्रह्माजी प्रसन्न हुए और उससे वरदान मांगने को कहा।
Image Source : social media रावण ने ब्रह्मा जी से ऐसा वर मांग लिया जिससे उसे मारना किसी के लिए भी मुश्किल था।
Image Source : social media रावण का वध बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है। उसका वध उसके अहंकार और क्रोध के कारण हुआ था, इसीलिए हर साल उसका दहन किया जाता है।
Image Source : social media रावण के दस सिर छह शास्त्रों और चार वेदों के प्रतीक हैं।
Image Source : social media रावण के 10 सिर उसकी मानसिक शक्ति को दर्शाते हैं जो एक औसत इंसान की मानसिक शक्ति से 10 गुना अधिक थी।
Image Source : social media Next : ट्रेन में नहीं मिल रही सीट, छठ पूजा पर कैसे जाएं घर?