अपने आप को सेहतमंद रखने के लिए लोग कपालभाति और भ्रस्तिका जैसे प्राणायाम करते हैं। लेकिन अक्सर लोग कपालभाति और भ्रस्तिका को लेकर कन्फ्यूज्ड हो जाते हैं और इनके बीच का अंतर नहीं पहचान पाते हैं।
Image Source : social आपको बता दें कपालभाति और भ्रस्तिका के बीच एक महीन सा अंतर है जो आपको पता होना चाहिए। चलिए हम आपको बताते हैं इनके बीच क्या अंतर है?
Image Source : social कपाल यानी मस्तिष्क और भाति मतलब स्वच्छता। अर्थात 'कपालभाति' वह प्राणायाम है जिससे दिमाग स्वच्छ होता है
Image Source : social वहीं , भस्त्रिका प्राणायाम में सांस की गति तेज होती है। यानी सांस की प्रक्रिया को जल्दी-जल्दी करना ही भस्त्रिका प्राणायाम कहलाता है।
Image Source : social भस्त्रिका प्राणायाम में लम्बी सांस लेकर फिर बाहर छोड़ते हैं। इस प्राणायाम को करते समय आपका पेट नहीं हिलना चाहिए।
Image Source : social कपालभाति में गहरी सांस अंदर की ओर लेकर झटके से सांस छोड़ें। इस दौरान पेट को अंदर की ओर खींचें। इसमें सांस लेते समय पेट फूलना चाहिए और सांस छोड़ते समय पेट पिचकना चाहिए।
Image Source : social हाइपरटेंशन, अस्थमा, हार्ट संबंधी बीमारी, साइनस और फेफड़ों के लिए भस्त्रिका प्राणायाम को अच्छा माना जाता है।
Image Source : social बीपी, थायराइड, सोरायसिस, कैंसर, हार्ट समस्या से ग्रसित लोगों के लिए कपालभाति एक बेहतरीन प्राणायाम है।
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