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टीचर होकर भी यह महिला अपने बच्चों को नहीं भेजना चाहती स्कूल, वजह जानकर आपको नहीं होगा यकीन

टेलर मोरन नाम की पूर्व शिक्षिका शायद दुनिया की पहली ऐसी महिला है जो अपने बच्चों को कभी स्कूल भेजना नहीं चाहती है। महिला का मानना है कि बच्चों को स्कूल भेजने से ज्यादा जरूरी उन्हें सरवाइवल की ट्रेनिक देना है।

Written By: Adarsh Pandey
Published : Oct 24, 2023 7:56 IST, Updated : Oct 24, 2023 8:04 IST
टेलर मोरन अपने बच्चों को नहीं भेजती स्कूल
Image Source : LEAFANDLEARN INSTAGRAM ID टेलर मोरन अपने बच्चों को नहीं भेजती स्कूल

एक महिला जो पहले शिक्षक रह चुकी हैं वो अपने बच्चों को कभी भी स्कूल नहीं भेजना चाहती है। महिला अपने तीन बच्चों के साथ एक जंगल में रहती है और वहीं पर अपने बच्चों को जरूरी चीजें जैसे- सरवाइवल स्किल, मांस काटना आदि सीखाती है। स्कूल जाकर पढ़ने की जगह उसके तीनों बच्चे खेल कर और एक्सप्लोर करके चीजों को सीखते हैं। महिला इस तरीके को 'Unshooling Method' कहती है। उसने अपने बच्चों को मांस काटने, बीज बोने से लेकर मछली पकड़ने तक की कला सीखाई है।

महिला ने बताई ये बातें

टेलर मोरेन ने बताया कि, 'मेरे बच्चों ने ऐसी कुछ चीजे सीखी हैं जो उन्हें सामान्य स्कूल में कभी भी सीखने को नहीं मिलता। मेरे बच्चे चाकू का सुरक्षित इस्तेमाल करना, चूजों का सही तरीके से पालन करना, जहर की पहचान करना, जड़ी-बूटियों से इलाज करना, पेड़-पौधे लगाना, बीज बोना आदि चीजे काफी अच्छी तरह से जानते हैं। एक सामान्य स्कूल उन्हें कभी ऐसी चीजे नहीं सीखाता।'

महिला ने आगे बताया कि, इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने बच्चों को कुछ स्पेशल सब्जेक्ट पढ़ने से रोक रहे हैं। मैं उन्हों कैलकुलस नहीं सिखा रही हूं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जरूरत पड़ने पर उन्हें ये चीजे सीखने से रोकूंगी। हम अपने बच्चों को बुनियादी सब्जेक्ट जरूर पढ़ाएंगे, जिनकी उन्हें जरूरत होगी। हमारे पास कई किताबें भी हैं जो हमारे बच्चे पढ़ते हैं।

क्यों लिया ऐसा फैसला?

महिला ने बताया कि जब मैं बच्चों को पढ़ाती थी तब मैं एक बच्ची से मिली। वह बच्ची लिखने और पढ़ने में काफी अच्छी थी लेकिन मैथ में वह काफी कमजोर थी जिसके लिए उसे एक्स्ट्रा क्लास लेना पड़ता था। मैंने यह नोटिस किया कि जब हम मैथ की बात करते थे तब उसका ध्यान कहीं और चला जाता था। मानों उसे इससे कोई फर्क ही नहीं पड़ता है। इससे मुझे अपनी पढ़ाई के दौरान की दिक्कतें याद आई। इसके बाद मैंने फैसला लिया कि मैं अपने बच्चों को ज्यादा विकल्प दूंगी।

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