रेस्टोरेंट तो आप जाते ही होंगे और वहां आपने बटर चिकन या दाल मखनी तो जरूर खाई होगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन दोनों व्यंजनों का आविष्कार किसने और कहां किया। अब आप इस सोच में पड़ जाएंगे कि ये कैसा सवाल है। वैसे ये बात तो सच है कि इस सवाल का जवाब ढूंढना आसान नहीं है। खैर अब इस सवाल का जवाब दिल्ली हाईकोर्ट ढूंढ रही है। अगर आपको मामला कुछ समझ में नहीं आ रहा तो बता दें कि दिल्ली में मोती महल और दरियागंज रेस्तरां के बीच इसी बात को लेकर विवाद है कि बटर चिकन और दाल मखनी को सबसे पहले किसने खोजा। दोनों रेस्टूरेंट्स अपने अपने दावे कर रहे हैं।
मामला पहुंचा दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट बटर चिकन और दाल मखनी के आविष्कार को लेकर मोती महल और दरियागंज रेस्तरां के बीच विवाद पर फैसला सुनाने के लिए तैयार है। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, मोती महल और दरियागंज रेस्तरां के बीच विवाद के बीच दिल्ली हाईकोर्ट आगामी दिनों में इस सवाल का जवाब दे सकता है। दरअसल, मोती महल के मालिक ने बटर चिकन और दाल मखनी के आविष्कारक टैगलाइन का उपयोग करने के बाद दरियागंज रेस्तरां के मालिक पर मुकदमा दायर कर दिया है। मोती महल ने दावा किया कि दरियागंज रेस्तरां लोगों को गुमराह कर रहा है।
कोर्ट ने 30 दिनों में मांगा जवाब
इस मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में 16 जनवरी को सुनवाई हुई। दरियागंज रेस्तरां के मालिकों को समन भेजा गया। कोर्ट ने दरियागंज रेस्तरां के मालिकों से 30 दिनों के भीतर मुकदमे का लिखित जवाब देने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 29 मई को होनी है।
क्या हैं दावे?
दोनों रेस्तरां दावा करते रहे हैं कि उन्होंने बटर चिकन और दाल मखनी का आविष्कार किया है। दरियागंज रेस्तरां का दावा है कि स्वर्गीय कुंदन लाल जग्गी ने बटर चिकन और दाल मखनी का अविष्कार किया था। जबकि मोती महल के मालिकों का दावा है कि उनके पूर्वज स्वर्गीय कुंडल लाल गुजराल ने यह खाना बनाया था। गुजराल ने ही पहले तंदूरी चिकन, साथ ही बटर चिकन और दाल मखनी का आविष्कार किया था। गुजराल भारत विभाजन के बाद पेशावर से देश में लाए थे।
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