
आज कल के उपभोक्ता वाद के इस दौर में हर एक चीज बेची जा सकती है। अब सोचिए आप कि लोग बाघ का पेशाब तक बेच दे रहे हैं। तो क्या कुछ नहीं बिक सकता। अब आप सोच रहे होंगे कि भाई ये लोग हैं कौन जो बाघ का पेशाब तक बेच दे रहे हैं। तो बता दें कि ऐसा कारनामा चीन में किया गया है। जहां एक चिड़ियाघर के लोग बाघ का पेशाब बेच रहे हैं। इन लोगों का दावा है कि बाघ के पेशाब की मालिश से गठिया, मोच और मांसपेशियों में दर्द जैसी बीमारियां ठीक हो सकती हैं।
बोतलों में पैक कर बेचा जा रहा बाघ का पेशाब
ऐसा दावा सिचुआन प्रांत में स्थित यान बिफेंगक्सिया वन्यजीव चिड़ियाघर के कर्मचारी कर रहे हैं। इसी चिड़ियाघर में बाध का मूत्र एक बोतल में पैक कर के बेचा जा रहा है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, यह मुद्दा तब सामने आया जब एक ज़ू विजिटर ने सोशल मीडिया पर बाघ के पेशाब वाली खरीदी बोतल की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की। खरीदने वाले उस शख्स ने अपने पोस्ट में बताया कि चिड़ियाघर इस बाघ के पेशाब को 50 युआन (लगभग 596 रुपये) में बेच रहा है। साथ में चिड़ियाघर का दावा है कि यह मूत्र एक साइबेरियाई बाघ का है और बोतल में बाघ का मूत्र 250 ग्राम है। जिसकी कीमत उसने 50 युआन बताई।
कैसे करना है इस्तेमाल यहां जानिए
बाघ के पेशाब वाले इस बोतल के लेबल पर इस मूत्र का इस्तेमाल करने का तरीका भी बताया गया है। जिसमें यह बताया गया है कि बाघ के पेशाब को सफेद शराब के साथ मिलाकर अदरक के स्लाइस के साथ उन जगहों पर लगाएं जहां आपको दर्द है। इतना ही नहीं चिड़ियाघर ने यह भी दावा किया कि अगर आप इसे पी लेते हैं तो आपकी एलर्जी भी ठीक हो जाएगी। साथ ही चिड़ियाघर के एक कर्मचारी ने यह बताया कि बाघ के मूत्र को उन बेसिनों से एकत्र किया जाता है जहां जानवर शौच करते हैं, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि बोतल में मिल रहे पेशाब का लैब टेस्ट होता भी है या नहीं।
डॉक्टरों ने दावे को बताया गलत
हालांकि जानवरों के डॉक्टरों ने चिड़ियाघर के अपुष्ट दावों को तुरंत सिरे से खारिज कर दिया है। हुबेई प्रांत के पारंपरिक चीनी चिकित्सा अस्पताल के एक फार्मासिस्ट ने बताया कि बाघ का मूत्र पारंपरिक चीनी चिकित्सा में मान्यता प्राप्त उपचार नहीं है। उन्होंने कहा, "बिना सबूत के इसके मूल्य को बढ़ा-चढ़ाकर बताना न केवल पारंपरिक चीनी चिकित्सा को विकृत करता है, बल्कि बाघ संरक्षण प्रयासों को भी नुकसान पहुंचाता है।"
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