अगर आप किसी से भी पूछेंगे कि महाभारत के युद्ध के लिए कौन जिम्मेदार है? आपको जवाब मिलेगा कि इस युद्ध की वजह मामा शकुनि थे। हम सबको पता है कि मामा शकुनि कौरव वंश का विनाश चाहते थे। इस वजह से उन्होंने पांडवों और कौरवों के बीच नफरत के बीज बोए और अंत में ये नफरत महाभारत युद्ध में तब्दील हो गया। कहा जाए तो दुर्योधन को गलत रास्ते पर ले जाने में सबसे बड़ी भूमिका मामा शकुनि की ही थी। महाभारत के किरदारों में सबसे बड़ा खलनायक मामा शकुनि को ही माना जाता है।
इस जगह पर है मामा शकुनि का मंदिर
इन सबके बावजूद भी हमारे देश में मामा शकुनि की पूजा की जाती है। ये सुनकर आपको हैरानी जरूर हुई होगी। लेकिन ये सच है। भारत में एक जगह ऐसा भी है जहां पर महाभारत के विलेन मामा शकुनि का एक मंदिर है और इसी मंदिर में उनकी पूजा भी की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जब महाभारत का युद्ध खत्म हुआ तब हुए विनाश को देखकर मामा शकुनि का मन बहुत दुखी हुआ। मामा शकुनि को इस बात का बहुत पछतावा हुआ कि वह अपने बदले की आग में अपने भांजों और अपने करीबी लोगों की बली चढ़ा दी।
इस वजह से होती है मामा शकुनि की पूजा
इसका पश्चाताप करने के लिए मामा शकुनि ने अपने गृहस्थ जीवन का त्याग कर दिया और सन्यास स्वीकार कर लिया। इसके बाद वह केरल राज्य के कोल्लम में शांती के लिए भगवान शिव की तपस्या करने लगे। भगवान शिव शकुनि मामा की तपस्या से खुश हुए और शिवजी ने उन्हें दर्शन दिया। ऐसा कहा जाता है कि जिस जगह पर मामा शकुनि ने तपस्या की थी वहां पर एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। इस मंदिर का नाम मायम्कोट्टू मलंचारुवु मलनाड है। जिस पत्थर पर बैठकर मामा शकुनि ने भगवान शिव की पूजा की थी। उस पत्थर को इस मंदिर में पूजा जाता है। लोग इस पत्थर को पवित्रेश्वरम के नाम से जानते हैं।
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