Highlights
- सद्गुरु ने मार्च में अकेले ही मोटरसाइकिल चलाते हुए इसकी शुरुआत की।
- सद्गुरु अब अपनी यात्रा का आधा पड़ाव पार कर चुके हैं।
- दुनिया में मिट्टी के संकट पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है: सद्गुरु
नई दिल्ली: आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु 'Save Soil' की यात्रा पर निकले हुए हैं। उन्होंने मार्च में अकेले ही मोटरसाइकिल चलाते हुए इसकी शुरुआत की और अब वह अपनी यात्रा का आधा पड़ाव पार कर चुके हैं। मिट्टी को बचाने की जरूरत पर ध्यान दिलाने के लिए उन्होंने पिछले 50 दिनों में अधिकांश यूरोप, मध्य एशिया के कुछ हिस्सों के साथ-साथ मध्य पूर्व के भी कुछ हिस्सों की यात्रा की है। 52 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि पहले ही खराब हो चुकी है, ऐसे में दुनिया में मिट्टी के संकट पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।
सद्गुरु 'Save Soil' के लिए 100 दिन, 30000 किमी की यात्रा के मिशन पर हैं और मृदा संरक्षण की सख्त आवश्यकता पर जागरूकता फैला रहे हैं। इस उद्देश्य के प्रति अपनी अथक प्रतिबद्धता में, सदगुरु बर्फ, रेतीले तूफान, बारिश और शून्य से नीचे के तापमान सहित अत्यंत जोखिम भरी परिस्थितियों से गुजर रहे हैं। यात्रा के दौरान उन्होंने प्रत्येक देश में राजनेताओं, मृदा विशेषज्ञों, नागरिकों, मीडिया कर्मियों और प्रभावशाली व्यक्तियों से मुलाकात की है। सद्गुरू ने इस सभी लोगों को इस खास मिशन के बारे में जागरूक किया है।
सद्गुरु की इस पहल को शानदार प्रतिक्रिया मिली है और मिट्टी बचाओ आंदोलन ने अपनी पहुंच 2 अरब से भी ज्यादा लोगों तक बनाई है। दुनिया के 72 राष्ट्र 'Save Soil' मिशन के लिए काम करने के लिए सहमत हैं। सद्गुरु ने कहा, 'मिट्टी हमारी संपत्ति नहीं है, यह एक विरासत है जो पिछली पीढ़ियों से हमारे पास आई है, और हमें इसे इसके जीवित स्वरूप में आने वाली की पीढ़ियों तक पहुंचाना चाहिए।'
सद्गुरु की 'Save Soil' यात्रा की 50 दिनों की झलकियों से भरा वीडियो:
सद्गुरु पहले ही बर्मिंघम, लंदन, द हेग, एम्स्टर्डम, बर्लिन, प्राग, वियना, लजुब्लजाना, रोम, जिनेवा, पेरिस, ब्रुसेल्स, कोलोन, फ्रैंकफर्ट, ब्रातिस्लावा, बुडापेस्ट, बेलग्रेड, सोफिया, बुखारेस्ट, इस्तांबुल, त्बिलिसी, बाकू, अम्मान, तेल अवीव, रियाद और मनामा की यात्रा कर चुके हैं। वह फिलहाल दुबई में हैं और मई के अंत में भारत पहुंचेंगे। इसके बाद सद्गुरु 21 जून तक देश भर में यात्रा करेंगे।