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किसान ने खरीदा नवाबी शौक वाला भैंसा, 20 लीटर दूध, काजू, बदाम और अंजीर है इसकी खुराक, रोज खर्च होते है इतने रुपए

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में भैंसों की लड़ाई काफी फेमस है। यहां के एक किसान ने एक ऐसे लड़ाकू भैंसे को खरीदा है जिसकी कीमत, खुराक और हर महीने का खर्च सुनकर आपको चक्कर आ जाएगा। किसान ने प्यार से अपने भैंसे का नाम शेर-ए-हिंद रखा है।

Written By: Pankaj Yadav @ThePankajY
Published : Feb 05, 2024 8:30 IST, Updated : Feb 05, 2024 9:03 IST
बाहुबली भैंसा शेर-ए-हिंद
बाहुबली भैंसा शेर-ए-हिंद

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में भैंसो की लडाई काफी मशहूर है। भैसों को लड़ाने के लिए लोग लडाकू भैंसा खरीदते रहते हैं। जिनकी कीमत और खुराक सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे। ऐसे ही बुरहानपुर के जैनाबाद गांव के बाबू सेठ नामक किसान ने 3 लाख 11 हजार रूपए कीमत का एक बाहुबली भैंसा खरीदा है। अब किसान बाबू सेठ इस भैंसे को जिले में होने वाली भैंसा लडाई में उतारकर अपना नाम कमाएंगे। बाबू सेठ ने इस भैंसे का नाम शेर-ए-हिंद रखा है।

बाहुबली भैंसे की खुराक और कीमत

इस भैंसे की खुराक आम भैंसों की तरह नहीं है। इसे रोजाना 20 लीटर दूध, काजू, बादाम और अंजीर खाने में दिया जाता है। जिसकी खुराक पर 50 हजार रूपए महीने खर्च होते हैं। शेर-ए-हिंद भैंसा अब तक 22 मैदानी लडाई जीत चुका है और कई खिताब अपने नाम किए हुए है। बता दें कि बुरहानपुर जिले में जिस किसान के पास लडाकू भैंसा होता है उसकी गिनती नामचीन व्यक्तियों में होती है। हालांकि भैंसा लड़ाई में कोई विशेष कमाई नहीं होती है लेकिन जिस मालिक का भैंसा लड़ाई में जीत जाता है तो उसकी जिले में काफी प्रसंशा होती है।

बाहुबली भैंसा शेर-ए-हिंद

Image Source : INDIATV
बाहुबली भैंसा शेर-ए-हिंद

यहां भैंसो की लड़ाई है मशहूर

बुरहानपुर में भैंसो की लड़ाई जिसे स्थानीय भाषा में पाड़ा टक्कर कहा जाता है, वह काफी प्रसिद्ध है। जिले के नगर परिषद शाहपुर में दिपावली के दूसरे दिन अमरावती नदी पर विशाल पाड़ा टक्कर यानी भैंसा लड़ाई के मेले का आयोजन होता है। जिसमें हजारों की संख्या में मप्र और महाराष्ट्र के लोग इस भैंसा लड़ाई को देखने के लिए पहुंचते हैं। मेला समिति द्वारा विजयी होने वाले भैंसे के मालिकों को सम्मानित किया जाता है। बुरहानपुर जिले के किसान भैंसों का पालन पोषण अपने परिवार के सदस्य की तरह करते हैं। भले ही खेती किसानी में इनका उपयोग नहीं किया जाता, लेकिन किसान इस पशु के खान-पान पर लाखों रुपए खर्च कर इनकी सेवा करते हैं। यह इसलिए नहीं कि भैंसा किसान को कुछ कमाकर देता है बल्कि भैंसा मैदानी मुकाबले में अपना दमखम दिखाकर किसान के मान सम्मान को बढ़ाता है।

(बुरहानपुर से शारिक अख्तर दूर्रानी की रिपोर्ट)

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