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Ukraine-Russia War: यूक्रेन में प्रेग्नेंट महिलाओं की हालत खराब, स्टेशनों, बेसमेंट में करनी पड़ रही है डिलीवरी

मारियुपोल, खार्किव और चेर्निहीव जैसे शहरों में स्थिति बहुत ज्यादा खराब है। यहां लगातार हमले जारी हैं... नतीजा ये हुआ कि गर्भवती महिलाओं को भीड़ में, बेसमेंट में या स्टेशनों पर डिलीवरी करनी पड़ रही है।

Edited by: Jyoti Jaiswal @TheJyotiJaiswal
Updated on: April 13, 2022 13:29 IST
Ukraine-Russia War- India TV Hindi
Image Source : प्रतीकात्मक फोटो- PIXABAY मारियुपोल, खार्किव और चेर्निहीव जैसे शहरों में स्थिति बहुत ज्यादा खराब है। यहां लगातार हमले जारी हैं... नतीजा ये हुआ कि गर्भवती महिलाओं को भीड़ में, बेसमेंट में या स्टेशनों पर डिलीवरी करनी पड़ रही है।

Highlights

  • यूक्रेन में तकरीबन 2.65 लाख प्रेग्नेंट महिलाएं हैं।
  • बेसमेंट, स्टेशनों पर महिलाओं को डिलीवरी करनी पड़ रही है।
  • 80 हजार महिलाओं की डिलीवरी अगले 3 महीनों में होने वाली है।

यूक्रेन पर रूस का हमला वहां के हर नागरिक के लिए किसी बुरे सपने जैसा हो गया है जो खत्म ही नहीं हो रहा है। क्या इंसान क्या जानवर... हर कोई लाचार है। बात करें वहां की गर्भवती महिलाओं की तो पूछिए मत... वहां पर औरतें समय से पहले बच्चों को जन्म दे रही हैं। मारियुपोल, खार्किव और चेर्निहीव जैसे शहरों में स्थिति बहुत ज्यादा खराब है। यहां लगातार हमले जारी हैं... नतीजा ये हुआ कि गर्भवती महिलाओं को भीड़ में, बेसमेंट में या स्टेशनों पर डिलीवरी करनी पड़ रही है। ना वहां कोई इंतजाम है ना ही पानी औ बिजली की व्यवस्था। डॉक्टर या मेडिकल सुविधाएं तो आप भूल ही जाइए।

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टेंशन की वजह से हो रही हैं प्री-मैच्योर डिलीवरी

जो गर्भवती महिलाएं अस्पताल या मैटरनिटी होम पहुंच भी जा रही हैं , वो इतनी टेंशन में हैं कि उनकी प्री-मैच्योर डिलीवरी हो रही है। किसी को ब्लीडिंग हो रही है तो कोई पैदा करते ही अपना बच्चा खो रही हैं। जो महिलाएं बच्चों को जन्म दे भी रही हैं वो मानसिक तनाव से गुजर रही हैं और उन्हें दूध नहीं हो रहा है जो वो अपने बच्चों को पिला सकें। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के मुताबिक युद्ध शुरू होते वक्त यूक्रेन में 2.65 लाख महिलाएं गर्भवती थीं। इनमें से 80 हजार बच्चों का जन्म आने वाले तीन महीनों में होना है।

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पैदा हुए बच्चे नहीं हैं हेल्दी

युद्ध के कारण ही यूक्रेन में प्री-मैच्योर डिलीवरी हो रही हैं और जो बच्चे पैदा हो रहे हैं उन्हें जीवनभर होने वाली जटिलताओं का खतरा है। बच्चों को सांस लेने की तकलीफ से लेकर पाचन और तंत्रिका संबंधी समस्याएं होने का खतरा हो रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के वक्त गर्भवतियों में भुखमरी की स्थिति होने की वजह से बच्चों में हाई बीपी और डायबिटीज जैसी समस्याएं हुईं। इतना ही नहीं डॉक्टर्स के मुताबिक इन प्रसूताओं की मौत की संख्या भी बढ़ सकती है। छोटे बच्चों को बचान के लिए भी सुविधाएं नहीं हैं। महिलाओं को हाई बीपी हो रहा है और उन्हें प्री-एक्लेमप्सिया होने की स्थिति हो रही है।

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