मौत हमेशा ही सबके लिए दुखद होता है। मरने वाला इंसान तो चला जाता है लेकिन उसके पीछे उसके परिवार के लोग उस तकलीफ को सहन करते हैं। मौत कितनी दुखद होती है ये कोई नहीं जानता लेकिन दुनिया में एक शख्स की मौत सबसे दुखद थी जो अपने घर वालों के सामने दम तोड़ा। लोग उसे बचाने के लिए भी आएं लेकिन वह नहीं बच सका और उसके परिवार के लोग उसे मरते हुए लाचार होकर देखते रहे और वह कुछ कर भी नहीं पाएं। इस शख्स का नाम फ्लॉइड कॉलिन्स (Floyd Collins) था।
फ्लॉइड कॉलिन्स (Floyd Collins) अमेरिका के केंटकी के रहने वाले थे। उन्हें शुरू से ही पहाड़, गुफा और पर्वत पसंद था। वह आए दिन गुफाओं की खोज में लगे रहते थे। साल 1917 में फ्लॉइड कॉलिन्स को अपने पिता की खेत में एक संकरा रास्ता मिला जिसमें नीचे जाने पर पता चला कि यह एक गुफा है। इस गुफा को फ्लॉइड ने क्रिस्टल केव नाम दिया। अमेरिका में उस वक्त गुफाओं की सैर करना बहुत चलन में था। लोग पैसे देकर उन गुफाओं की सैर करते थे। फ्लॉइड कॉलिन्स (Floyd Collins) ने भी यही सोचा कि वह अपने खोज किए हुए गुफा क्रिस्टल केव को पर्यटकों के लिए खोलेंगे लेकिन वह शहर से बहुत दूर था और कोई भी वहां नहीं आता था।
खोज की हुई गुफा में दबा शख्स
फ्लॉइड कॉलिन्स (Floyd Collins) की नजर में एक गुफा और थी जिसका नाम सैंड केव था। उन्हें इस बात की उम्मीद थी कि यह गुफा पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा तो वहां बहुत सारे लोग घूमने आएंगे। इसलिए उस खेत के मालिक बीसली डॉयल को प्राफिट शेयर करने का ऑफर दिया। खोत का मालिक मान गया। 30 जनवरी 1925 को फ्लॉइड कॉलिन्स पहली बार उस गुफा के अंदर गए और अपने साथ एक केरोसिन की लालटेन ले गए थे। अंदर गुफा में फ्लॉइड को बहुत सारे संकरे रास्ते दिखे जिसमें से गुजरने के लिए उन्हें अपने शरीर को सिकोड़ना पड़ता था। अभी कॉलिंन्स अदर जा ही रहे थे कि अचानक से उनके लालटेन की आग बुझ गई। यह देख वह हड़बड़ी में बाहर आने लगे तभी एक बहुत बड़ा चट्टान उन पर गिर गया और 60 फुट नीचे गुफा में दब गए।
पत्रकार ने लिया इंटरव्यू
फ्लॉइड कॉलिन्स जब गुफा में फंस गए तब वह उस दिन तो कैसे भी निकलने की कोशिश करते रहे लेकिन उस बड़े से पत्थर के नीचे उनकी एक नहीं चली। अगले दिन उनके भाई और पिता उस गुफा के पास पहुंचे। फ्लॉइड को निकालने की कोशिश करने लगे। सबसे पहले फ्लॉइड को खाने-पीने के लिए कुछ दिया गया। फिर उन्हें निकालने की कोशिश की जाने लगी। इसी बीच इस बात की खबर एक रिपोर्टर डेविड मिलर को लग गई और वह गुफा में उतर कर फ्लॉइड कॉलिन्स से उनका इंटरव्यू लिया। बाद में डेविड मिलर को इस रिपोर्टिंग के लिए पुलित्जर पुरस्कार भी मिला। जब भाई और उनके पिता उन्हें बाहर निकालने में असफल हो गए तब पुलिस और रेस्क्यू टीम भी वहां पहुंची। धीरे-धीरे यह खबर पूरे अमेरिका में फैल गई। लोग दूर-दूर से फ्लॉइड कॉलिन्स को देखने के लिए आने लगें।
50 हजार लोगों ने मरते हुए देखा
भीड़ का आलम यह था कि वह जगह किसी मेले से कम नहीं लग रहा था। लगभग 50 हजार लोग फ्लॉइड कॉलिन्स को देखने के लिए पहुंचे थे। यह देखकर रेहड़ी वाले वहीं अपना ठेला लगाकर समान भी बेचने लगे। इधर, पुलिस और रेस्क्यू टीम फ्लॉइड कॉलिन्स को बाहर निकालने की प्लानिंग करते रहे। जिसके बाद उन्हें पहाड़ को काटकर निकालने का फैसला किया गया। लेकिन पहाड़ खिसककर और नीचे चला गया और फ्लॉइड उससे भी नीचे जा फंसे। अब तो फ्लॉइड कॉलिन्स को बाहर निकालना बहुत मुश्किल हो गया था। कुछ दिनों बाद गुफा के बगल से एक नया छेद बनाकर उनके पास जाने की कोशिश की गई। 16 फरवरी को रेस्क्यू टीम फ्लॉइड कॉलिन्स के पास पहुंची लेकिन तब तक फ्लॉइड कॉलिन्स की मौत हो चुकी थी। वह दो हफ्ते से भूखे-प्यासे थे। जिससे उनकी मौत हो गई। बाद में फ्लॉइड कॉलिन्स की लाश उनके कब्र से चुरा ली गई और आखिरकार 1989 में उन्हें एक चर्च के पास दफनाया गया।
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