आदमी जब प्यार में होता है तब वह सारी हदों को पार कर देता है। शायद ये उस इंसान का हौंसला नहीं बल्कि प्यार की ताकत है जो उससे यह सब करवाती है। एक ऐसी ही लव स्टोरी इंस्टाग्राम पर खूब शेयर हो रही है। जिसमें एक भारतीय कलाकार को विदेश से आई एक युवती से प्यार हो जाता है। जब वह युवती वापस विदेश चली जाती है तब उस शख्स उसके साथ नहीं जा पाता है। कुछ दिन बाद वह कलाकार अपने प्यार के लिए अपना सबकुछ बेचकर एक साइकिल खरीदता है और वह उसी साइकिल से कई देशों की यात्रा कर भारत से यूरोप पहुंच जाता है।
स्केच बनाने के दौरान शुरू हुई थी दोनों की प्रेम कहानी
ये कहानी है भारत में एक कलाकार प्रद्युम्न कुमार महानंदिया की और 80 के दशक की बात है। कलाकारी की दुनिया में प्रद्युम्न का नाम धीरे-धीरे स्वीडन तक पहुंच गया। 1975 में प्रद्युम्न से इम्प्रेस होकर स्वीडन की एक 19 वर्षीय छात्रा शार्लोट वॉन शेडविन उनसे मिलने भारत पहुंची। शार्लोट ने प्रद्युम्न से अपना स्केच बनाने के लिए कहा। बस फिर क्या था शार्लोट का स्केच बनाते-बनाते प्रद्युम्न को उनसे प्यार हो गया। प्रद्युम्न का दिल शार्लोट की सुंदरता और उसकी सादगी पर फिदा हो गया। प्यार के बाद उन्होंने जल्द ही शादी भी कर ली पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। शार्लोट को वापस स्वीडन जाना पड़ा लेकिन प्रद्युम्न उनके साथ नहीं जा सकें। प्रद्युम्न को अभी अपनी पढ़ाई पूरी करनी थी इसलिए वह भारत में ही रह गए।
साइकिल चलाकर भारत से यूरोप पहुंच गया कलाकार
समय कटता गया और दोनों एक दूसरे को चिट्ठी लिखते रहे। कुछ समय बाद साल 1977 में प्रद्युम्न कुमार महानंदिया ने अपनी पत्नी शार्लोट वॉन शेडविन से मिलने की योजना बनाई। जब वह यूरोप जाने के लिए फ्लाइट की टिकट खरीदने के लिए पहुंचे तब उनके पास टिकट खरीदने के लिए उतने पैसे नहीं थे। फिर प्रद्युम्न ने फैसला किया कि वह कैसे भी अपने प्यार के पास जा कर रहेंगे। इसके लिए प्रद्युम्न के पास जो कुछ भी था उन्होंने वह सबकुछ बेचकर एक साइकिल खरीदी और साइकिल से ही स्वीडन जाने का फैसला कर लिया। प्रद्युम्न अगले 4 महीने और 3 हफ्ते तक लगातार साइकिल चलाते रहें। वह हर रोज 70 किलोमिटर साइकिल चलाते थे।
मुश्किलों को पार कर अपने प्यार को पाया
पहले प्रद्युम्न ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान और तुर्की को पार किया। इसके बाद वह इस्तांबुल और वियना होते हुए यूरोप पहुंचे और फिर ट्रेन से गोथेनबर्ग की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान प्रद्युम्न को बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। कई बार उनके पास पैसे नहीं होते थे तब वह लोगों का स्केच बनाकर कुछ कमा लेते। कई बार तो ऐसा हुआ कि उनके पास कुछ खाने को नहीं होता था। तब उन्हें भूखे पेट ही सोना पड़ता था। जब वह यूरोप पहुंचे तब उन्हें वहां के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। लेकिन इस दौरान उनकी पत्नी शॉर्लोट ने उनका हर कदम पर साथ दिया। दोनों ने स्वीडन में फिर से शादी की और प्रद्युम्न हमेशा के लिए स्वीडन में ही अपनी पत्नी के साथ रहने लगे। आज इस कपल एक साथ रहते हुए 46 साल हो गए। दोनों के दो बच्चे हैं और प्रद्युम्न अभी भी कलाकारी का काम करते हैं।
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