Highlights
- उत्तर प्रदेश के मेरठ का रहने वाला है शख्स
- गौरव का जीवन 'उनकी कला और शिल्प की पूजा' के लिए समर्पित
- गौरव का घर लताजी का एक 'मंदिर' है
Lata Mangeshkar Die Hard Fan: भले स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर अब हमारे बीच नहीं, मगर उनकी यादें साथ हैं। रविवार को लताजी का राजकीय सम्मान के साथ दाह-संस्कार किया गया। उस वक्त उनके चाहने वालों की भीड़ सड़कों पर नजर आई। यूं तो हर शख्स ही उनकी आवाज का दीवाना है। मगर एक ऐसे शख्स की कहानी भी सामने आई है जो लताजी का जबरा फैन है।
उत्तर प्रदेश के मेरठ के रहने वाले गौरव शर्मा की लताजी के प्रति भक्ति-प्यार अतुलनीय है। दुनिया भर के अनगिनत लोगों की तरह गौरव भी लता मंगेशकर के गीत सुनकर उनके दीवाने हो गए और ये प्यार इस कदर बढ़ा कि गौरव ने अपने घर को 'लता का मंदिर' बना दिया है।
लताजी के निधन पर उन्होंने कहा कि मेरे लिए, वह अमर है। वह एक सितारा है और हमेशा रात के आसमान में टिमटिमाती रहेगी। मैं न तो दुखी हूं और न ही खुश। उनका जीवन संघर्षों से भरा था।
39 वर्षीय गौरव शर्मा का कहना है कि उन्होंने अपना पूरा जीवन 'उनकी कला और शिल्प की पूजा' के लिए समर्पित कर दिया है, यहां तक कि शादी भी नहीं की है। वाकई गौरव शर्मा की भक्ति अद्वितीय है।
गौरव के पास लता मंगेशकर पर लिखी गई हर किताब है, यहां तक कि पाकिस्तानी और ऑस्ट्रेलियाई लेखकों की भी, और उनके संग्रह में उनके द्वारा गाए गए सभी गीत शामिल हैं। उन्होंने स्कूलों में छह 'लता वाटिका' भी स्थापित की हैं, जहां उन्होंने महान गायक के सम्मान में हजारों पेड़ लगाए हैं।
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गौरव का घर लताजी का एक 'मंदिर' है जिसे अब वह एक संग्रहालय में बदलना चाहते हैं। गायिका की एक बड़ी फ्रेम वाली फोटो ड्राइंग रूम की दीवार पर टंगी है, जबकि उनकी कई और तस्वीरें पूरे कमरे में लगाई गई हैं। उनकी अलमारी लता मंगेशकर को लेकर खबरों की कतरनों से भरी पड़ी है।
शर्मा ने संवाददाताओं से कहा कि मैं प्रधानमंत्री से अपील करता हूं, मेरे सभी संग्रह उनके सम्मान में एक संग्रहालय के लिए ले लें। बता दें, वह 1988 में सिर्फ छह साल के थे, जब उन्होंने पहली बार गायिक द्वारा गाया गया एक गाना सुना, जो 1955 में आई फिल्म 'आजाद' का गाना 'राधा ना बोले' था।