ट्रेन की यात्रा तो आप सभी लोगों ने की होगी और इस सफर में कई बार आपको यह भी आभास हुआ होगा कि दो ट्रेन आपस में रेस कर रही हैं। कभी-कभी ऐसी स्थिति बन जाती है कि एक ही दिशा में दो ट्रेनें जा रही होती हैं और कभी कोई आगे होती है तो कभी कोई पीछे। ऐसे में हम यहीं सोचते हैं कि इन दोनों ट्रेनों में रेस हो रही है। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। ट्रेन के ड्राइवर कभी रेसिंग कर ही नहीं सकते हैं क्योंकि एक ही दिशा में जाने वाली दो या दो से अधिक ट्रैक सामान्यत: नहीं होती हैं इसलिए कोई भी ट्रेन एक दूसरे से रेस नहीं कर सकते। कहीं-कहीं पर ऐसा देखने को मिलता है कि एक ही दिशा में दो या दो से अधिक रेलवे ट्रैक हों। इस तरह की व्यवस्था कुछ सेक्शनों में देखने को मिलती है। नहीं तो आमतौर पर एक ही दिशा में दो या दो से ज्यादा चलती हुई ट्रेन केवल स्टेशन/बड़े यार्ड के आस पास ही देखने को मिलती हैं।
नहीं हो सकती दो ट्रेनों में रेसिंग
स्टेशन और बड़े यार्ड में भी ट्रेन आपस में रेस नहीं लगा सकती क्योंकि बड़े स्टेशनों पर ट्रेन की स्पीड ड्राईवर नहीं बल्कि वहां लगे सिग्नल निर्धारित करते हैं। यदि सिग्नल ग्रीन होगा तभी ड्राइवर पूरी स्पीड से ट्रेन चला सकता है नहीं तो वह उसी स्पीड से चलेगा जो सिग्नल तय करेगा। यदि सिग्नल डबल येलो /या येलो है तो उस वक्त ट्रेन की स्पीड कम ही रहेगी। अगर मान लीजिए कि बड़े स्टेशनों के आसपास दो-तीन किलोमीटर की लंबाई में कुछ समय के लिए ट्रेन रेस करते हुए दिख रही है तो वह सिर्फ आपका आभास है।
कुल मिलाकर एक दिशा में चल रही दो ट्रेनों के ड्राइवर तभी पूरी स्पीड से चल पाएंगे जब सिग्नल पूरी तरह से ग्रीन हो। अन्यथा ट्रेन स्टेशन मास्टर द्वारा नियंत्रित सिग्नल के अनुसार चलने को बाध्य है इसलिए दो ट्रेन के ड्राइवर आपस में रेस कभी नहीं कर सकते। भले ही वह कुछ दूर तक एक साथ चल सकते हैं लेकिन रेसिंग की आजादी ट्रेन ड्राईवर को नहीं है।
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