आप सभी लोगों ने बबल गम तो खाया ही होगा। आपने देखा होगा कि ये बबल गम अक्सर गुलाबी रंग के ही होते हैं। कुछ सफेद भी होते हैं लेकिन अधिकतर गुलाबी ही होते हैं। तो क्या आपने ये कभी सोचा है कि ये बबल गम हमेशा गुलाबी ही क्यों बनाए जाते हैं। किसी और रंग के क्यों नहीं। तो चलिए हम आपको बताते हैं इसके पीछे का कारण कि ऐसा क्यों होता है। सबसे पहले तो जान लीजिए कि बबल गम पहली बार अमेरिका के फिलेडेल्फिया में साल 1906 में बनाया गया था। जब पहली बार इसे बनाया गया तो यह फूलता नहीं था क्योंकि ये बहुत ज्यादा ही चिपचिपा होता था।
इस शख्स ने बनाया था फूलने वाला बबल गम
समय बिता फिर साल 1928 में वॉल्टर डीमर ने गलती से एक ऐसा बबल गम बना दिया जो फूलने भी लगा। इसके बाद वॉल्टर डीमर ने बबल गम को बेचने लगे। वॉल्टर ने इस बबल गम का नाम डबल बबल रखा। लेकिन अभी भी एक समस्या थी, वह ये कि वॉल्टर डीमर ने जिस रेसिपी की मदद से इस बबल गम को बनाया था उससे वह ग्रे कलर का बन गया जो दिखने में बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। लोग इसे देखने के बाद खाना तो दूर उसे सूंघते तक नहीं।
बबल गम का रंग गुलाबी इसलिए है
काफी सोचने के बाद वॉल्टर डीमर ने तय किया कि क्यों न इसका रंग बदलने के लिए बबल गम में डाई मिला दिया जाए। उस वक्त फैक्ट्री में सिर्फ लाल डाई ही बचा था और वह भी ज्यादा नहीं बचा था इसलिए वॉल्टर ने डाई का एक घोल बनाया जो बहुत पतला था और वह पतले होने की वजह से गुलाबी हो गया था। ऐसे में जब वॉल्टर ने बबल गम में उस डाई के घोल को मिलाया तो वह गुलाबी रंग का हो गया और तब से लेकर आजतक बबल गम को गुलाबी ही बनाया जाता है।
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