भारत में जुगाड़ और जुगाड़ियों की कोई कमी नहीं है। लेकिन अगर लोगों को जीवनदान देने वाले डॉक्टर और अस्पताल ही जुगाड़ पर चलने लगे तो सोचिए इंसान अपनी जान बचाने कहां जाएगा। ऐसा ही एक मामला बिहार के जमुई से सामने आया है जहां जुगाड़ पर चल रहे अस्पताल की दुर्दशा देखने को मिली है। दरअसल, जमुई के सदर अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड की हालत दिन प्रति दिन बद से बदत्तर होते जा रही है। अस्पताल में कई दिनों से इमरजेंसी वार्ड के स्टॉक से कई जीवनरक्षक दवाइयां गायब रह रही हैं। जिससे डॉक्टरों और मरीजों को इलाज के दौरान काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मामला को कई बार जिम्मेदार लोगों के सामने उठाया गया लेकिन किसी भी जिम्मेदार इंसान के कान पर जूं तक नहीं रेंगा।
मरीज को यूरिन बैग के बदले लगा दी कोल्डड्रिंक की बोतल
हद तो तब हो गई जब सोमवार की रात एक अनोखा मामला सामने आया। इस अस्पताल में झाझा रेल पुलिस ने बेहोशी के हालत में एक यात्री को भर्ती करवाया था। जहां डॉक्टर ने मरीज को यूरिन बैग और कंवर्सन कंट्रोल करने के लिए इप्सोलिन इंजेक्शन के साथ गैस की सुई देने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को कहा लेकिन ये दवाइयां इमरजेंसी वार्ड के स्टॉक में नहीं मिली। जिसके बाद स्वास्थ्यकर्मियों ने मरीज को यूरिन बैग की जगह कोल्डड्रिंक की बोतल लगा दी। चूंकी अस्पताल में इप्सोलिन इंजेक्शन और गैस की सुई नहीं थी तो मरीज को ये इंजेक्शन नहीं लगाए गए। जिस वजह से मरीज रात भर अस्पताल के बेड पर बेहोशी की हालत में छटपटाता रहा।
अस्पताल की चरमाराई व्यवस्था से परेशान हैं लोग
बात सिर्फ उसी मरीज की नहीं थी। अस्पताल में ऐसे कई मरीज थे जिन्हें गैस की सुई नहीं दी गई। जब अस्पताल प्रबंधक को देर रात फोन किया गया तो उन्होंने फोन भी उठाना मुनासिब नहीं समझा। मंगलवार की सुबह जब इस मसले पर अस्पताल प्रबंधक ने बात की तो आनन-फानन में यूरिन बैग सहित अन्य दवाइयां मंगाई गई। इससे पहले भी इमरजेंसी वार्ड की हालत बहुत खस्ता थी। कभी टेटवेट तो कभी एनएस, आरएल सलाइन तो कभी सांप की सुई सहित विभिन्न दवाइयां स्टॉक से कई दिनों तक गायब रहती थी। कई बार मरीज को ये सारी दवाइयां बाहर से भी खरीद कर लाना पड़ता था। यहां के जिम्मेदार भी पूरी तरह लापरवाह बने हुए हैं।
मामले पर अस्पताल प्रबंधक ने दी सफाई
जब इंडिया टीवी के संवाददाता ने अस्पताल प्रबंधक रमेश कुमार पांडेय से इस मुद्दे पर बात की तो उन्होंने कहा कि मुझे सूचना नहीं थी कि यूरो बैग नहीं है। जैसे ही सूचना मिली यूरो बैग की व्यवस्था कर दी गई है। इंचार्ज का पैर फ्रैक्चर हो गया है जिस वजह से दवा खत्म होने की सूचना नहीं मिली थी। जितनी भी दवा की कमी थी उसे पूरा कर दिया गया है। आज के बाद ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो इसके लिए संबंधित स्वास्थ्यकर्मियों को सख्त हिदायत दी गई है।
(अंजुम आलम की रिपोर्ट)
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