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  3. 44 साल में 130 किलो था वजन, अब 62 की उम्र में भी जवान मॉडलों को टक्कर देता है ये शख्स, कहानी सुनकर करेंगे सैल्यूट

44 साल में 130 किलो था वजन, अब 62 की उम्र में भी जवान मॉडलों को टक्कर देता है ये शख्स, कहानी सुनकर करेंगे सैल्यूट

पचास साल की उम्र में 50 किलो वजन घटाकर ये शख्स मॉडलिंग की दुनिया में उतरा था। अब 62 साल में इसके जलवे जवान मॉडलों को भी कॉम्प्लेक्स देते हैं।

Edited by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: February 17, 2021 12:12 IST
dinesh gautam- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/DINESH.MOHAN.58 dinesh gautam

हमारे देश में 50 के आस पास पहुंचते ही लोग बुजुर्ग की श्रेणी में रख दिए जाते हैं। ऐसे लोग बहुत ज्यादा हैं जो कहते हैं कि अब तो उमर हो गई, अब क्या करेंगे। लेकिन दरअसल देखा जाए तो यही तो उम्र हैं जिसमें इंसान जिम्मेदारियों से इतर कुछ कर पाने का हौंसला जुटा पाता है। वैसे भी कुछ बड़ा या जोखिम भरा काम करना हो तो उम्र नहीं हिम्मत देखी जाती है। 

ऐसे ही एक मॉडल का किस्सा आजकल जोरों पर है, 44 साल की उम्र में ये शख्स डिप्रेशन का शिकार हो गया था, दूसरों के सहारे पल रहा था और खाते खाते इसका वजन 130 किलो पहुंच गया था। इसे उठने बैठने के लिए नर्स की जरूरत पड़ने लगी थी। तब घरवालों ने इसे फिर से जीने के लिए प्रोत्साहित किया और इसने फिर से एक लाइफ शुरू करने का फैसला किया। इसकी मेहनत और लगन का नतीजा है कि ये आज देश के सफल मॉडलों में शुमार है। इसकी फिजीक,स्टाइल और सफेद दाढ़ी में इसका जलवा लोगों के सिर चढ़कर बोलता है। मॉडलिंग एजेंसियां इसे हायर करने के लिए उतावली रहती हैं।

बात हो रही है मशहूर मॉडल और एक्टर दिनेश मोहन की। दिनेश मशहूर मॉडल हैं और सलमान खान और रजनीकांत जैसे सुपरस्टार के साथ एक्टिंग भी कर चुके हैं। 

ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे नामक को दिए एक इंटरव्यू में दिनेश मोहन ने अपने फर्श से अर्श तक के सफर को साझा किया तो लोगों को वाकई प्रेरणा मिल रही है।

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बकौल मोहन 44 साल की उम्र में उन्हें एक निजी हादसे से दो चार होना पड़ा। वो काफी बीमार हो गए और डिप्रेशन के शिकार हो गए। तब उनकी बहन औऱ जीजाजी ने उन्हें डॉक्टर के पास ले जाकर दिखाया और देखभाल करने के लिए अपने घर ले गए। दिनेश कहते हैं कि मैं उस निजी हादसे के बाद इतना घबरा गया था कि जिम्मेदारी लेने से बचने लगा, मैं घर से भी कम ही बाहर निकलता था और दिन भर बिस्तर पर ही पड़ा रहता था। मैं बहन और जीजा के परिवार में एक परजीवी की तरह था जो उनके दफ्तर जाने के बाद उनके फ्रिज से खाना खाता रहता था।

दिनेश ने बताया 'ऐसे ही बिस्तर पर पड़े पड़े औऱ खाते खाते मेरा वजन 130 किलो तक जा पहुंचा, मैं उठने में लाचार महसूस करने लगा, एक नर्स मुझे उठाती थी और खड़ा करती थी।'

'फिर एक दिन वो हो गया जिसकी मुझे उम्मीद तो नहीं थी लेकिन उसने मेरी किस्मत बदल डाली। उस दिन घरवालों का गुस्सा फूट पड़ा, वो चिल्लाकर बोले कि क्या तुम जीने का कोई मकसद नहीं खोज सकते? क्या तुम देख नहीं रहे कि तुम बिस्तर पर पड़े पड़े मर रहे हो।' 

घरवालों ने जो जिल्लत भरे शब्द सुनकर दिनेश मोहन का आत्मा चीख पड़ी और उन्हीं शब्दों की बदौलत उन्होंने जिंदगी को फिर से जीने की और बदलने की जिद ठान ली।

दिनेश कहते हैं 'अगले ही दिन मैं डाइटीशियन के पास पहुंच गया, एक डाइट प्लान बनवाया और जिम का रास्ता पकड़ा।' धीरे धीरे उनका आत्मविश्वास लौटने लगा, वो केवल एक ही लक्ष्य का पीछा कर रहे थे कि वजन कम करना है औऱ फिर से जिंदगी को जीने लायक बनाना है। वो दिन रात जिम करते, मेहनत करते, एक्सरसाइज और डाइटिंग का असर दिखने लगा औऱ मोहन का वजन कम होने लगा। 

आखिरकार दिनेश मोहन की मेहनत औऱ लगन रंग लाई और उनका वजन 50 किलो तक घट गया। उस दिन जब वो घर से बाहर निकले तो उनके पड़ोसी उनको पहचान ही नहीं पाए। उनकी कदकाठी इतनी फिट हो गई थी कि उन्होंने एक फैशन मेगजीन में अपनी 'तब औऱ अब' की फोटो भेजी। इसके बाद मॉडलिंग एजेंसीज से उनको फोन आने लगे। 

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ये वो वक्त था जब मोहन को लगा कि उनको मॉडलिंग में हाथ आजमाना चाहिए। लेकिन वो पचास साल के थे, ऐसे में ऑडिशन के लिए 25 साल के मॉडलों संग खड़ा होना चुनौती भरा था। लेकिन फिर भी एक ऑडिशन में गए और वहां जवान मॉडलों संग ऑडिशन दिया।

ऑडिशन गजब का रहा, लोग उन्हें आश्चर्य से देख रहे थे, उनकी सफेद दाढ़ी,दजब की फिजीक लोगों को अच्छी लग रही थी। लेकिन एक डर था, अच्छा तो है, लेकिन क्या काम बनेगा। शूट के बाद फोटोग्राफर ने उनसे कहा - आप यहीं के लिए बने हो। यहां उन्हें हायर कर लिया गया। इसके बाद उनकी पॉपुलेरिटी बढ़ने लगी। मोहन के फोटोशूट्स, मॉडलिंग को देखकर मॉडलिंग एजेंसियां उन्हें लेने के लिए कतार लगाने लगी। 

सफेद बाल और दाढ़ी वाला स्टाइलिश मॉडल जब रैंप पर चलता है तो कपड़ों को मानों चार चांद लग जाते हैं। जवानों पर तो सब कुछ अच्छा लगता है,देखने का नजरियां तो तब बदलता है जब उसे ऐसे लोग पहने जो अलग हो। 

दिनेश मोहन कहते हैं कि मेरी कहानी जब लोगों को कुछ करने के लिए इन्सपायर करती है तो मुझे बेहद अच्छा लगता है। मेरे परिवार के तानों की बदौलत मैं फिर से जिंदगी शुरू कर पाया और कामयाब भी हो पाया। किसी को भी ये नहीं सोचना चाहिए कि देर हो चुकी है। देर कभी नहीं होती। 44 के बाद भी जिंदगी शुरू की जा सकती है। 

दिनेश मोहन की स्टोरी सामने आने के बाद लोग उनके संघर्ष से सीख ले रहे हैं। उनकी पोस्ट पसंद की जा रही है और लोग धड़ाधड़ कमेंट्स भी कर रहे हैं।

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