ये इश्क नहीं आसां बस इतना समझ लीजे, आग का दरिया है और डूब के जाना है...जिगर मुरादाबादी आज जिंदा होते तो इश्क की जगह उनके जेहन में सोशल मीडिया का नाम जरूर आता। आजकल सोशल मीडिया आग का वो दरिया बन गया है जिसमें रोज कुछ न कुछ उबलता और सुलगता रहता है। कुछ दिन पहले का फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो हिंदी विवाद थमा नहीं था कि फैशन ब्रांड फैब इंडिया के दीवाली विज्ञापन 'जश्न ए रिवाज' ने सोशल मीडिया को सुलगने और विरोध करने के लिए एक अच्छा खासा मौका दे दिया।
इस हफ्ते में भाषाएं सोशल मीडिया पर विवाद का केंद्र बनी रहीं। जाहिर तौर पर हिंदी और उर्दू का सोशल मीडिया पर ट्रेंड होना ना केवल इन भाषाओं के लिए बुरा रहा बल्कि कंपनियों के लिए भी खास त्योहारी मौके पर ये होना सही नहीं कहा जाएगा।
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जोमैटो के एक्जीक्यूटिव ने तमिलनाडू में हिंदी की पैरवी की तो सोशल मीडिया इसलिए उबल पड़ा कि हिंदी को तवज्जों क्यों दी गई। दूसरी तरफ फैब इंडिया ने अपने दीवाली विज्ञापन को जश्न ए रिवाज के तौर पर दिखाया तो जोमैटो मामले में हिंदी को तवज्जो देने पर खफा हो चुका सोशल मीडिया उर्दू को गरियाने लगा। हिंदी और उर्दू के इन दोनों विवादों में ट्विटर और फेसबुक पर रिएक्शन की बाढ़ आई औऱ दोनों कंपनियां बचाव की मुद्रा में दिखाई दी।
अब सोशल मीडिया बना ही सोशल मुद्दों को लेकर है तो जाहिर तौर पर रिएक्शन भी आएंगे। लेकिन आजकल सोशल मीडिया पर ऐसे मुद्दे चिंगारी उठा रहे हैं, जिन्हें देखकर लगता नहीं कि विवाद करने के लायक है।
क्या वाकई ये सामान्य से दिखने वाले विवाद हैं या केवल पब्लिसिटी स्टंट कहकर इन्हें भूल जाना चाहिए। जोमैटो के हिंदी विवाद पर जोमैटो भले ही माफी मांग चुका है लेकिन उसके फांउडर दीपिंदर गोयल ने एक सवाल जरूर उठाया था अपने ट्वीट में क्या सोशल मीडिया असहिष्णु होते जा रहा है।
इस ट्वीट में दीपिंदर कह रहे हैं कि एक नजरंदाज करने लायक गलती एक राष्ट्रीय मुद्दा बन जाती है। सहिष्णुता और ठंड का लेवल इन दिनों और ऊंचा किए जाने की जरूरत है। यहां किसको दोष दिया जाए। दीपिंदर का इशारा सोशल मीडिया पर आ रहे तीखे रिएक्शन पर था जो यूजर उनकी कंपनी के खिलाफ दे रहे थे।
फैब इंडिया ने अपने प्रकरण पर माफी मांगकर मामले का पटाक्षेप करने की कोशिश की है। हालांकि इस विज्ञापन और माफी से फैब इंडिया की दीवाली का दीवाला निकल सकता है, लेकिन क्या किया जा सकता है।
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बता दें कि ‘जश्न-ए-रिवाज’(परंपरा का उत्सव) के नाम से जारी विज्ञापन को लेकर सोशल मीडिया ने इस ब्रांड पर दिवाली जैसे हिंदू त्योहार को ‘‘विकृत’’ करने का आरोप लगाया था।
विरोध को देखते हुए कंपनी ने अपना बचाव करते हुए कहा था कि यह दिवाली कलेक्शन नहीं है। दिवाली का कलेक्शन जल्द ही ‘झिलमिल सी दिवाली’ कैंपेन के तहत पेश किया जाएगा। लेकिन इसका अधिक असर देखने को नहीं मिला और फैबइंडिया को सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल किया गया