हाल ही में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी किताब में भारत का जिक्र करते हुए रामायण और महाभारत की चर्चा की थी। यूं तो रामायण और महाभारत मुख्यतया भारत के धर्मग्रंथ हैं लेकिन आपको शायद पता न हो कि एक मुसलिम बहुल देश में रामायण की बहुत धूम है। यहां रामायण को राष्ट्रीय काव्य ग्रंथ का दर्जा प्राप्त है। जी हां, ये मुसलिम बहुत देश है इंडोनेशिया जहां रामायण को बिलकुल ही जुदा तरीके से दिखाया जाता है। यहां रामलीलाओं का जोरदार मंचन किया जाता है जिसे देखने के लिए विदेशी भी बहुत संख्या में उमड़ते हैं।
कहने को तो इंडोनेशिया एक मुसलिम बहुल देश है लेकिन यहां हर मोड़ पर आपको रामायण की छाप दिख जाएगी। यहां बाकायदा एक अयोध्या नगरी है जिसे योग्या का नाम दिया गया है। इंडोनेशिया में नौसेना अध्यक्ष को लक्ष्मण कहा जाता है। यहां की संस्कृति के साथ साथ देश के विविध रंग भी रामायण के रंग में रंगे हैं। मसलन यहां की एयरलाइंस का लोगो भी गरुण पक्षी है। हिंदू धर्म का इंडोनेशियाई संस्कृति पर इतना गहरा रंग चढ़ा है कि वहां की राष्ट्रीय करेंसी पर भी भगवान गणेश का चिह्न है।
आपको बता दें कि भारत में रामायण की रचना जहां महर्षि वाल्मीकि ने की थी, वहीं इंडोनेशियाई रामायण के रचयिता कवि योगेश्वर हैं। कवि योगेश्वर ने इंडोनेशिया की मूल भाषा कावी में ही रामायण की रचना की है।
इंडोनेशिया जैसे देश में रामलीला का मंचन होता है इसे देखकर कई तरह के सवाल उठते हैं, जिसका जवाब खुद इंडोनेशिया देता है। इंडोनेशिया इस्लाम को धर्म और रामायण को संस्कृति का दर्जा देता है। इसी वजह से ये देश धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता की मिसाल बन गया है।
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एक रोचक जानकारी आपके साथ साझा करते हैं। हर साल 27 दिसंबर को जब इंडोनेशिया का आजादी दिवस मनाया जाता है तो राजधानी जकार्ता में हनुमान का वेश धारण करके युवा घूमते हैं। यहां सरकारी परेड में भी हनुमान बने युवकों को शामिल किया जाता है। जिस तरह हनुमान ने रावण वध में श्री राम का साथ दिया था उसी तरह इंडोनेशिया की जनता भी हनुमान जी को संकटमोचक मानती है। यहां हनुमान जी को अनोमान कहा जाता है। ये हनुमान का ही कावी में नाम है।
रामलीला की बात करें तो यहां हर शहर में धूमधाम से रामलीला का मंचन किया जाता है। महीनों पहले तैयारी होती है, किरदार चुने जाते हैं। पूरे विधिवत रूप से अपनी मूल भाषा में इंडोनेशिया की जनता रामायण की स्तुति करती है।