जननी यानी मां दुनिया में एक ही होती है, मां की तुलना किसी से नहीं की जा सकती। जब भी बेस्ट मां का चुनाव होता है तो कई महिलाओं का जिक्र होता है लेकिन इस बार अच्छी मां का खिताब एक मर्द को मिल रहा है। हैरान हो गए ना आप। लेकिन ये खबर सच है। महिला दिवस: इन एक्ट्रेस ने अपने दम पर बनाई बॉलीवुड में पहचान8 मार्च को महिला दिवस के अवसर पर बेंगलुरु में आयोजित 'वैमपॉवर' में एक पुरुष को बेस्ट मॉम का खिताब दिया जा रहा है। यही शख्स इस फंक्शन में चर्चा में रहेगा और इसका नाम है आदित्य तिवारी। आदित्य को ये खास अवॉर्ड मिलने की खबरें इंटरनेट पर वायरल हो रही है।
आदित्य ने भले ही बच्चे को जन्म नहीं दिया है लेकिन उन्होंने एक मां के सारें कर्तव्यों को इतनी बखूबी निभाया है कि वो औरतों के लिए मिसाल बन गए हैं। आदित्य पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। आदित्य को इस अवॉर्ड से नवाजा जाने का कारण भी उनकी ममता हैं।
महिला दिवस: इन एक्ट्रेस ने अपने दम पर बनाई बॉलीवुड में पहचान
असल में आदित्य एक स्पेशल एबिलिटी चाइल्ड के सिंगल फादर हैं। अपने लाडले को उन्होने अवनीश नाम दिया है, जो डाउन सिंड्रोम से पीड़ित है और बोल भी नहीं पाता है। आदित्य अवनीश को 1 जनवरी 2016 में अपने घर लेकर आए थे। उस वक्त नन्हा अवनीश महज 22 महीने का था। उस वक्त ये बच्चा दिल में छेद की बीमारी से त्रस्त था । जिसके चलते नन्हीं सी जान को 2 बार दिल की सर्जरी करानी पड़ी थी। इसी वजह से अवनीश को घर लाने के साथ ही आदित्य ने अपनी नौकरी छोड़ दी थी और वो फुल टाइम अवनीश की देख रेख में लग गए थे। इसी के साथ आदित्य ने मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए जागरुकता अभियान भी चलाना शुरू किया था।
अवॉर्ड मिलने की खबर पर आदित्य का कहना है कि पिता बनने का एहसास बेहद ही खूबसूरत है। उन्होंने कहा कि अवनीश के उनकी जिंदगी में आते ही उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल चुकी है। इस अवॉर्ड समारोह का हिस्सा बनकर वो बहुत ही खुश हैं। उन्होंने कहा 'एक सिंगल फादर के तौर पर मैं सबको ये बताना चाहता हूं कि बच्चे को पालने के क्या अनुभव होते हैं।'
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अब तक आदित्य अपने बेटे के साथ में 22 राज्यों की यात्रा कर चुके हैं और 400 से भी ज्यादा मीटिंग्स, वर्कशॉप्स और कॉन्फ्रेंस में भाग ले चुके हैं। आपको बता दें कि आदित्य दुनिया भर के उन खास 10000 माता-पिताओं में से हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित पेरेंटिंग से जुड़े एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था।
आदित्य ने अपना सर्वस्व इन्हीं मासूम बच्चों के नाम कर दिया है और वो आगे भी हर संभव प्रयास करते रहेंगे। उनका कहना है कि मेरे माता-पिता मेरी प्रेरणा का स्रोत है। इन्हें देखकर ही उन्हें ताकत मिलती है कि वो इन प्यारे बच्चों के हक की लड़ाई लड़ने में इनका साथ दें सकें।