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Updated on: September 07, 2018 21:10 IST

मैंने इस उपलब्धि के लिए बहुत कुछ बलिदान दिया है: स्वप्ना बर्मन


स्वप्ना बर्मन का नाम आज सुर्खियों में है। एशियाई खेलों में भारत के लिए हेप्टाथलन का स्वर्ण जीतने के बाद मिली शोहरत और इज्जत से स्वप्ना अभिभूत हैं लेकिन जकार्ता जाने से पहले उनके लिए हालात बिल्कुल अलग थे। 2013 में बिस्तर पर पड़ने से पहले उनके पिता रिक्शा चालक थे। उनकी मां चाय बागानों में पत्तियों तोड़ा करती थीं। दोनों पैरों में 6 उंगलियों से साथ पैदा हुईं स्वप्ना के पास प्रॉपर जूते पहनने के लिए नहीं थे। वे देश के लिए दांत में दर्द लिए दौड़ीं।

हालांकि, यह सब परेशानियां स्वप्ना बर्मन को ऐतिहासिक एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक जीतने से रोक नहीं पाईं। वे इस उपलब्धि को हासिल करने वाली पहले भारतीय हेप्टाएथलीट बनीं। एसियाड में बर्मन की सफलता की कहानी साहस और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।


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