माफिया अतीक अहमद का बेटा असद और शूटर गुलाम इनकाउंटर में मारा गया। उमेश पाल हत्याकांड के बाद से असद और शूटर गुलाम को सुरक्षित रखना अतीक और अशरफ के लिए चुनौती बन गया था। अतीक ने उसको छिपाने में अपने कुछ जानकारों की मदद भी ली थी। 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या हुई। उसके बाद से असद एक दिन प्रयागराज में एक घर में छिपा रहा। फिर 26 फरवरी को वो बाइक से कानपुर आया।
15 मार्च को अजमेर के लिए निकला
इसके बाद कानपुर से असद बस से 28 फरवरी को आनंद विहार बस अड्डे आया। फिर दिल्ली में जामिया नगर और संगम विहार रहा। 15 मार्च को असद अजमेर के लिए निकल गया। फिर वहां से मुंबई गया। फिर नासिक गया। उसके बाद कानपुर गया। उसके बाद झांसी पहुंचा। इन सभी जगहों पर वो कई दिन रुका। इस दौरान उसने कभी ट्रेन से सफर नहीं किया।
फरारी के दौरान 4000 किमी का सफर
असद ने ज्यादातर सफर बस या दूसरे वाहनों से किया। उसके फरारी के दौरान उसने करीब 4000 किलोमीटर का सफर तय किया। उसका काफी समय सफर में ही बीता। दिल्ली में छिपाने में उसकी हैदर नाम के शख्स ने मदद की। हैदर फिलहाल बरेली जेल में बंद है। हैदर के ही तीन जानकारों को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है।
अतीक के काफिले पर हमले का प्लान
वहीं, सूत्रों से जानकारी आई है कि असद और गुलाम अतीक के काफिले पर हमला करने की फिराक में थे। काफिले में सुरक्षा काफी ज्यादा थी, इसलिए उसे अतीक को छुड़ाने का प्लान नहीं था, बल्कि उसके काफिले पर कुछ राउंड फायरिंग करने का प्लान था, जिससे सनसनी फैले और यूपी सरकार की किरकिरी हो। साथ ही अतीक की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो और उसका साबरमती जेल से आना बंद हो जाए।
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