कानपुर: उत्तराखंड में लगातार हो रही भीषण बारिश से उत्तर प्रदेश के कानपुर में गंगा नदी का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। हालात इस कदर भयावह होते जा रहे हैं कि गंगा नदी के आसपास के रहने वाले लोगों को वहां से निकाल लिया गया है। पानी का स्तर इतना ऊपर तक आ गया कि नदी के किनारे किसानी करने वाले लोगों को काफी नुकसान हुआ है। बता दें कि उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से बाढ़ का कहर जारी है और बारिश से जुड़ी घटनाओं में कई लोगों की जान जा चुकी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सूबे के कम से कम 13 जिले ऐसे हैं जो कहीं न कहीं बाढ़ का सामना कर रहे हैं।
सरसैया घाट पर गुरुद्वारे के निचले हिस्से में भरा पानी
कानपुर में आई बाढ़ ने किसानों के लिए मुसीबत पैदा कर दी है। गंगा नदी में आई बाढ़ से फसलें डूब गई हैं। वहीं, कानपुर के सरसैया घाट पर बने गुरुद्वारे के निचले हिस्से में भी गंगा का काफी पानी भर गया है। गुरुद्वारे का निचला हिस्सा लगभग गंगा में डूब गया है। हालांकि घाट पर रहने वाले लोगों ने बताया कि गुरुद्वारे की बनावट ही ऐसी है कि जैसे ही गंगा का जल स्तर बढ़ता है, वैसे ही गुरुद्वारे का निचला हिस्सा गंगा में डूब जाता है। लोगों ने कहा कि श्रद्धालु इसी में अपना मत्था टेकते हैं।
यूपी के गोरखपुर में राप्ती नदी खतरे के निशान के ऊपर
उत्तर प्रदेश में बारिश और बाढ़ को लेकर बुधवार को जारी राहत आयुक्त कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक, बारिश से जुड़ी घटनाओं में मुरादाबाद और गोरखपुर में 3-3, पीलीभीत, ललितपुर, गाजीपुर और एटा में एक-एक व्यक्ति की मौत हो गई। रिपोर्ट में बताया गया कि राज्य के 13 जिले लखीमपुर खीरी, कुशीनगर, शाहजहांपुर, बाराबंकी, सिद्धार्थनगर, बलिया, गोरखपुर, उन्नाव, देवरिया, हरदोई, अयोध्या, बदायूं और महाराजगंज बाढ़ प्रभावित हैं। इसमें बताया गया कि राप्ती नदी गोरखपुर में, बूढ़ी राप्ती नदी सिद्धार्थनगर में और कुआनो नदी गोंडा में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। (रिपोर्ट: ज्ञानेंद्र शुक्ला)