Saturday, November 30, 2024
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अब वाराणसी के इस कॉलेज को वक्फ बोर्ड ने बताया अपनी संपत्ति, कहा- टोंक के नवाब ने दान की थी ये जमीन

वाराणसी में वक्फ बोर्ड के इस दावे के बाद से कॉलेज परिसर में माहौल गरमा गया है। कॉलेज के प्राचार्य ने भी इससे संबंधित एक बयान जारी किया है। वक्फ बोर्ड की नोटिस पर आपत्ति जताई है।

Edited By: Dhyanendra Chauhan @dhyanendraj
Published : Nov 30, 2024 16:34 IST, Updated : Nov 30, 2024 16:38 IST
Wakf Board declare college campus as its own property- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO वक्फ बोर्ड ने कॉलेज परिसर को बताया अपनी संपत्ति

वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज परिसर के भीतर एक मस्जिद और उसके सामने की जमीन पर वक्फ बोर्ड के दावे से विवाद खड़ा हो गया है। हालांकि, कॉलेज प्रशासन ने इन दावों को सिरे से खारिज किया है। उदय प्रताप कॉलेज को 2018 में एक नोटिस भेजा गया था जिसमें दावा किया गया था कि परिसर में स्थित मस्जिद और कॉलेज की जमीन टोंक के नवाब द्वारा वक्फ बोर्ड को दान की गई थी। 

कॉलेज परिसर को भी वक्फ की संपत्ति बताया

प्राचार्य डीके सिंह ने बताया कि इसी दावे के साथ कॉलेज परिसर को वक्फ की संपत्ति बताया गया। उन्होंने कहा, ‘यह नोटिस वाराणसी के रहने वाले वसीम अहमद खान की ओर से भेजा गया था। कॉलेज के तत्कालीन सचिव ने उसी समय नोटिस का जवाब दे दिया था जिसमें कहा था कि मस्जिद अवैध रूप से बनाई गई है, जबकि कॉलेज की संपत्ति न्यास की है, इसे न तो खरीदा जा सकता है और न ही बेचा जा सकता है।’ 

वक्फ बोर्ड द्वारा मस्जिद में निर्माण का प्रयास किया गया

कॉलेज के प्राचार्य डीके सिंह ने बताया कि बाद में 2022 में वक्फ बोर्ड द्वारा मस्जिद में निर्माण का प्रयास किया गया, जिसे कॉलेज प्रशासन की शिकायत पर पुलिस ने रुकवा दिया। प्राचार्य ने आरोप लगाया कि कॉलेज के कनेक्शन से चोरी कर मस्जिद में बिजली का इस्तेमाल किया जा रहा था जिसे कटवा दिया गया। इस बीच, पुलिस उपायुक्त (वरुणा जोन) चंद्रकांत मीणा ने कहा कि यह मामला 2022 का है और उस समय कॉलेज प्रशासन की शिकायत पर मस्जिद में निर्माण कार्य रुकवा दिया गया था। 

नवाब टोंक के जमाने से कर रहे नमाज

मस्जिद में नियमित आने वाले मनउर रहमान ने बताया कि मस्जिद और उसके सामने कुछ एकड़ जमीन पर वक्फ बोर्ड ने दावा किया था जिसमें कहा गया था कि यह मस्जिद नवाब टोंक की संपत्ति है और उन्हीं के समय से है। रहमान ने कहा कि बिजली का कनेक्शन कॉलेज और मस्जिद प्रशासन के आपसी समझौते से जोड़ा गया था। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने कुछ दिन पहले इसकी बिजली काट दी। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास इसके पहले के बिजली (आपूर्ति) के कागजात भी हैं। यहां कोई विवाद नहीं है बल्कि बेवजह विवाद खड़ा किया जा रहा है। हम यहां नवाब टोंक के जमाने से नमाज कर रहे हैं।’ 

साल 1921 में बना ये इंटरमीडिएट कॉलेज

उदय प्रताप स्वायत्त कॉलेज की अवधारणा राजर्षि उदय प्रताप सिंह जुदेव ने इस क्षेत्र के समाज में मूल्यों का निर्माण करने के उद्देश्य से पेश की थी। इसकी शुरुआत उस समय हुई जब जुदेव ने 1909 में वाराणसी में हीवेट क्षत्रीय हाईस्कूल की स्थापना की जो 1921 में इंटरमीडिएट कॉलेज बन गया और इसका नाम उदय प्रताप इंटरमीडिएट कॉलेज कर दिया गया। इसके बाद, 1949 में यहां स्नातक कक्षाएं शुरू होने के साथ यह डिग्री कॉलेज हो गया। हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस कॉलेज के 115वीं स्थापना दिवस समारोह को संबोधित किया था। 

भाषा के इनपुट के साथ

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