
मैनपुरी (उप्र): 24 दलितों के नरसंहार के मामले में 43 साल से ज्यादा वक्त बीतने के बाद कोर्ट का फैसला आया है। मैनपुरी की एक अदालत ने इस मामले में तीन लोगों को दोषी ठहराया है। मैनपुर के दिहुली गांव में डकैतों के एक गिरोह द्वारा 24 दलितों की हत्या कर दी गई थी। चार दशक से अधिक समय बाद, एक स्थानीय अदालत ने इस भयानक हत्याकांड में शामिल होने के जुर्म में तीन लोगों को दोषी ठहराया है।
जिला सरकारी वकील पुष्पेंद्र सिंह चौहान ने कहा, "मंगलवार को विशेष न्यायाधीश इंदिरा सिंह ने कप्तान सिंह, राम पाल और राम सेवक को दिहुली दलित हत्याकांड में उनकी भूमिका के लिए दोषी पाया।" उन्होंने कहा कि दोषी व्यक्तियों को सजा 18 मार्च को सुनाई जाएगी।
18 नवंबर 1981 को हुआ था नरसंहार
चौहान ने कहा,"यह नरसंहार 18 नवंबर 1981 को हुआ था, जब संतोष सिंह (उर्फ संतोष) और राधेश्याम (उर्फ राधे) की अगुवाई में डकैतों के एक गिरोह ने जसराना थाना क्षेत्र में स्थित दिहुली गांव में दलित समुदाय पर हमला किया था, जो उस समय मैनपुरी जिले का हिस्सा था। हमलावरों ने महिलाओं और बच्चों सहित 24 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी और उनका सामान लूट लिया था।"
17 आरोपियों में से 13 की मौत
स्थानीय निवासी लायक सिंह ने 19 नवंबर 1981 को एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी और विस्तृत जांच के बाद गिरोह के सरगनाओं संतोष और राधे सहित 17 डकैतों के खिलाफ आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया था। मुकदमे के दौरान, संतोष और राधे सहित 17 आरोपियों में से 13 की मृत्यु हो गई। शेष चार में से एक अभी भी फरार है, जबकि कप्तान सिंह, राम सेवक और राम पाल ने मुकदमे का सामना किया।
इंदिरा गांधी ने पीड़ित परिवारों से की थी मुलाकात
इस त्रासदी के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी संवेदना व्यक्त करने के लिए प्रभावित परिवारों से मुलाकात की थी, जबकि उस समय विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने पीड़ित परिवारों के साथ अपनी एकजुटता दिखाने के लिए फिरोजाबाद के दिहुली से सदुपुर तक पद यात्रा की थी। (इनपुट-भाषा)