उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा को रद्द कर दिया गया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने पेपर लीक के आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का भी आदेश जारी कर दिया है। इस बीच यह दावा किया जा रहा है कि यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा के पेपर छपने से पहले ही लीक हो गए थे। वहीं एग्जामपुर के फाउंडर विवेक कुमार ने इंडिया टीवी से बात की। उन्होंने इस बातचीत में कहा कि सबसे पहले यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा के पेपर लीक का मामला उन्होंने उठाया, जिसके बाद सरकार हरकत में आई और परीक्षा के रद्द कर दिया। उन्होंने कहा कि जहां पर पेपर तैयार किया जाता है और उसके बात टाइप होता है। उसके ही बीच में पेपर लीक हुई है।
पेपर लीक पर क्या है दावा?
विवेक कुमार ने कहा कि किसी भी परीक्षा से पूर्व अलग-अलग विषयों के टीचर पेपर बनाते हैं। फिर वह पेपर एक जगह कोई अच्छी सी हैंडराइटिंग में वह कॉपी किया जाता है। टाइपिंग के बाद चारों सब्जेक्ट का पेपर टाइपिंग के लिए भेज दिया जाता है। इसी बीच में जहां से पेपर लिखा गया और टाइपिंग के लिए भेजा गया, इसी बीच में पेपर लीक हुआ है।
विवेक कुमार तक कैसे पहुंचा पेपर?
विवेक कुमार ने इंडिया टीवी से बात करते हुए कहा, 'मेरे पास 17 फरवरी की शाम 5।34 बजे या 5।37 बजे के आसपास ही पेपर आ गया था। जब मैंने पेपर के सेकेंड शिफ्ट से मैच किया तो वह 100 फीसदी तक मैच हो रहा था। मैं देखकर चौंक गया कि ऐसे तो पेपर लीक नहीं होता कि चारों ऑप्शनों को भी लीक किया गया हो। लीक करने वाले नकल माफिया को उससे चार ऑप्शन से कोई मतलब नहीं होता। उसको तो थोड़ा बहुत प्रश्न और थोड़ा बहुत उत्तर से मतलब होता है। लेकिन जब मैंने देखा है तो पूरा का पूरा हस्तलिखित पेपर है। जब मैंने प्रश्न को और उत्तर को मिला किया तो मैं चौंक गया। इसे भर्ती बोर्ड और यूपी पुलिस ने भी कंफर्म किया। ट्विटर के माध्यम से 17 फरवरी को कंफर्म हो गया कि पेपर लीक हुआ है। फिर 18 फरवीर का जो सेकेंड शिफ्ट का पेपर था। वह तो सुबह से ही वायरल किया जा रहा था कि पेपर लीक हो गया है।'
उन्होंने कहा कि आप सभी लोग इसकी जांच कीजिए और जब हमने उसे पेपर को तीन से पांच बजे मिलाया तो देखा की पूरा पेपर सेम टू सेम है। हैंडराइटिंग पेपर के पर्चे के चक्कर में 18 फरवरी को ही एक बच्चे को पकड़ा गया। दरअसल जिले पकड़ा गया था उसके पास भी पेपर था। उसके पास 150 में से 148 प्रश्नों के जवाब थे। उसका मोबाइल चेक किया गया तो पता चला कि उसके पास पेपर 12।30 बजे के करीब ही आ गया था, वो भी हैंडराइटिंग में। अगर इस मामले की जांच यूपी सरकार एसटीएफ से कराएगी को तो मामले का खुलासा जल्द से जल्द हो जाएगा। इस पेपर लीक में कंपनी ही शामिल है।
पेपर लीक का नेक्सस कैसे करता है काम?
विवेक कुमार ने इस प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि यह नेक्सस टेलीग्राम के माध्यम से काम करते हैं। क्योंकि टेलीग्राम को ट्रैक करना मुश्किल है। शायद पुलिस इसकी जांच कर सके, क्योंकि उनके पास ऐसी व्यवस्था हो सकती है, जिससे सारे सबूत मिल जाएं। टेलीग्राम की हमने एक वीडियो बना रखी है, जिसमें यह दिखता है कि किस-किस ग्रुप में कब-कब पेपर शेयर किया गया है। साथ ही उस ग्रुप से कितने और ग्रुप जुड़े हुए हैं। मेरे पहला काम ही यही था कि सबूत इकट्ठा किया जाए। इसके बाद मैंने सबूत इकट्ठे किए। मेरे पास बहुत स्ट्रान्ग सबूत हैं और एसटीएफ ईमानदारी से सही और निष्पक्ष जांच करेगी तो बड़े-बड़े लोगों का इसमें नाम आएगा।
उन्होंने कहा कि मुझे जांच में शामिल किया गया है। पहली पूछताछ हो चुकी है। सोमवार को फिर से मुझे हेडक्वार्टर बुलाया गया है और मैं जाऊंगा। मैं सारे सबूत एसटीएफ की टीम को दे दूंगा और फिर देखते हैं कि आगे क्या होगा। घटनाक्रम को लेकर मैं बच्चों से यही कहूंगा कि बहुत ही बड़ी मुश्किल घड़ी है। हम सबने मिलकर अपनी लड़ाई लड़ी है और लड़ाई सच की थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमें पूरा भरोसा था। उन्होंने हमारी बात सुनी और उन्होंने पेपर खुद अपने स्तर से निरस्त कर दिया है। अब आप भी तैयारी कीजिए। दुखी मत होइए। एक नई उम्मीद से शुरुआत कीजिए। हम तो पूरी कोशिश करेंगे चाहे मर ही क्यों न जाए। कोई हमें कुछ भी कर दे। लेकिन इस नेक्सस को पूरा बेनकाब करेंगे। ये नेक्सस कई राज्यों में फैला हुआ है। बड़े-बड़े लोग इसमें शामिल हैं और करोड़ों रुपये इसमें शामिल हैं। क्योंकि 10-12 लाख रुपये में इन पेपर्स को बेचा गया है।