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यूपी निकाय चुनाव 2023 की दूर हुई सारी प्रॉब्लम, सुप्रीम कोर्ट से मिली हरी झंडी, अब बस दो दिन का इंतजार

उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव का रास्ता अब साफ हो गया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव को हरी झंडी दे दी है। इसके साथ ही दो दिनों में चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।

Edited By: Kajal Kumari
Updated on: March 27, 2023 21:35 IST
up nagar nikay elections 2023- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO यूपी में नगर निकाय चुनाव का रास्ता साफ

यूपी निकाय चुनाव 2023: निकाय चुनाव का रास्ता अब साफ हो  गया है। जातिगत आरक्षण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने की अधिसूचना जारी करने की अनुमति दे दी है। ओबीसी आरक्षण के मुद्दे की जांच के लिए गठित एक समर्पित आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है, जिसके बाद कोर्ट ने सरकार को चुनाव कराने की अनुमति दी है। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अदालत के पिछले आदेश के आधार पर यूपी पिछड़ा वर्ग आयोग के लिए एक अधिसूचना जारी की है।

दो दिनों में जारी कर दी जाएगी अधिसूचना

न्यायालय की इस पीठ में शामिल जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जेबी पदीर्वाला की पीठ ने कहा कि आयोग का कार्यकाल छह महीने का था, इसे 31 मार्च, 2023 तक अपना कार्य पूरा करना था, जबकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि रिपोर्ट 9 मार्च को पेश की गई है। पीठ ने आगे कहा कि इसके बाद अब स्थानीय निकाय चुनावों की अधिसूचना दो दिनों में जारी कर दी जाएगी।

 बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल जनवरी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण दिए बिना शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने के लिए उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर रोक लगा दी थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने तब अदालत के समक्ष तर्क दिया था कि उसने ओबीसी के प्रतिनिधित्व के लिए डेटा एकत्र करने के लिए पहले से ही एक समर्पित आयोग का गठन किया है।

हाई कोर्ट ने जारी कर दिया था आदेश

पिछले साल दिसंबर में उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित ट्रिपल टेस्ट फार्मूले का पालन किए बिना ओबीसी आरक्षण के मसौदे को तैयार करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश पारित किया था। शीर्ष अदालत ने पिछले साल मई में 'के. कृष्ण मूर्ति (डॉ.) और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य' (2010) में संविधान पीठ के फैसले का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया था कि ओबीसी आरक्षण के लिए पहले 'ट्रिपल टेस्ट शर्तो' को पूरा करना होगा।

इससे पहले इस साल मार्च में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह, जिन्होंने आयोग का नेतृत्व किया था और चार अन्य सदस्य - सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी चोब सिंह वर्मा, महेंद्र कुमार और पूर्व अतिरिक्त कानून सलाहकार संतोष कुमार विश्वकर्मा और ब्रजेश कुमार सोनी मिले थे। मुख्यमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर जाकर शहरी विकास मंत्री ए.के. शर्मा और शहरी विकास विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में रिपोर्ट सौंपी।

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