उत्तर प्रदेश के बरेली में एक मरीज के घर तक एंबुलेंस नहीं जा सकी। ऐसे में परिजन उसे चारपाई पर लेकर 2 किलोमीटर तक पैदल चले। इसके बाद मरीज घर पहुंचा। इस गांव में मूलभूत सुविधाएं नहीं है और इससे नाराज ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव 2024 का बहिष्कार भी किया था, लेकिन अब तक यहां के हालात नहीं बदले हैं।
बाढ़ ने इन दिनों पूरे बरेली मंडल में ही कहर ढा रखा है। पीलीभीत और शाहजहांपुर का पूरा शहर का इलाका डूब चुका है तो बरेली में भी बाढ़ तांडव कर रही है। यहां के ग्रामीण इलाकों में बाढ़ ने तबाही मचा रखी है। हजारों एकड़ फसल चौपट हो गई है तो वही लोगों को आने जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बरेली जनपद में नवाबगंज तहसील क्षेत्र में एक मरीज को इलाज के लिए रास्ता ठीक न होने के कारण गहरे पानी में 2 किलोमीटर तक चारपाई से ले जाना पड़ा।
घर तक नहीं पहुंची एंबुलेंस
बरेली बाढ़ के कारण कई नदियां उफान पर है, जिससे गांवों में पानी भर गया है। बजेश पुत्र होरीलाल निवासी ग्राम जारपा मोहनपुर तीन माह पहले मजदूरी करने आंध्र प्रदेश गया था। यहां वह काम करते समय खौलते पानी में में गिर गया। इससे वह बुरी तरह झुलस गया। आनन-फानन में उसे अस्पताल में भर्ती कराया था। इलाज के बाद छुट्टी होकर घर लौटते समय रास्ता सही न होने के कारण एंबुलेंस चालक ने बागेश को नौगवा भगवंतपुर में छोड़ दिया।
जारपा मोहनपुर में नहीं हैं मूलभूत सुविधाएं
नौगवा भगवंतपुर से उसके परिजन बृजेश को चारपाई पर लेकर कर 2 किलोमीटर पानी से गुजरते हुए नवाबगंज क्षेत्र के जारपा मोहनपुर स्थित घर ले गए। जारपा मोहनपुर जनपद बरेली के बॉर्डर पर देवहा नदी के समीप बसा हुआ गांव है। जो कि विकास की दृष्टि से बहुत ही पिछड़ा हुआ है। गांव में आने जाने हेतु कोई संपर्क मार्ग नहीं है। आज भी गांव विकास की दृष्टि से कोसों दूर है। इसी वजह से ग्राम वासियों ने 2024 लोकसभा चुनाव का बहिष्कार भी किया था।
(बरेली से अनूप मिश्रा की रिपोर्ट)
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