उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में अखिलेश यादव का समाजवादी पार्टी को करारी हार झेलनी पड़ी है। अखिलेश ने सभी नौ सीटें जीतने की बात कही थी, लेकिन उनकी पार्टी महज दो सीटों पर सिमटती दिख रही है। खास बात यह है कि समाजवादी पार्टी कुछ ऐसी सीटें हारी है, जिनमें उनकी जीत तय मानी जा रही थी। मीरापुर सीट भी इनमें से एक है। मुस्लिम बहुल सीट पर समाजवादी पार्टी की हार हैरान करने वाली है, लेकिन इसके पीछे कई वजहें सामने आई हैं।
समाजवादी पार्टी की हार की तीन वजहें मानी जा रही हैं। पहला है कि यहां वोट कम पड़े और फिर सपा ने नए चेहरे पर दांव खेला था और रालोद के पास जाना-माना नाम था। वहीं, बीजेपी का समर्थन भी रालोद उम्मीदवार के लिए मददगार साबित हुआ। योगी की सभा भी रालोद के पक्ष में गई।
कम हुआ मतदान
अखिलेश यादव ने मतदान खत्म होने के बाद ही इस तरफ इशारा किया था और कहा था चुनाव ड्यूटी में लगे अधिकारी उनके मतदाताओं को वोट नहीं करने दे रहे थे। हालांकि, उपचुनाव में अक्सर सत्ताधारी दलों को ही जीत मिलती है, क्योंकि विपक्षी दलों के वोटर समझते हैं कि इन चुनावों से कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ने वाला। इसी वजह से सपा के मतदाता वोट करने ही नहीं निकले और यहां सिर्फ 40 फीसदी मतदान हुआ। इसी वजह से बीजेपी को जीत मिली, क्योंकि बीजेपी के वोटर वोट डालने आए, लेकिन सपा के मतदाता मतदान केंद्रों से दूर रहे।
काम नहीं आया नया चेहरा
मीरापुर में समाजवादी पार्टी ने पूर्व सांसद कादिर राणा की बहू सुंबुल राणा को टिकट दिया था। सुंबुल क्षेत्र के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं, लेकिन लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता खास नहीं है। इस वजह से भी उनके नाम पर कम वोटर वोट देने पहुंचे और उन्हें नए विधायक से ज्यादा उम्मीद भी नहीं थी। वहीं, रालोद ने जाने-पहचाने चेहरे को टिकट दिया, जिनके नाम पर कुछ लोग मतदान करने गए और योगी के समर्थक भी उनके लिए वोट डालने पहुंचे।
बीजेपी का समर्थन
राज्य में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है और जब बीजेपी ने रालोद के उम्मीदवार को समर्थन दिया तो योगी आदित्यनाथ के समर्थकों ने दिल खोलकर रालोद उम्मीदवार मिथलेश पाल को वोट दिया। मिथलेश को 84304 वोट मिले और उन्होंने 30796 वोट से सपा की सुंबुल राणा को हराया, जिन्हें 53508 वोट मिले।