UP by election: लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद अब उत्तर प्रदेश की सियासत में सारा फोकस वहां होनेवाले उपचुनाव पर है। सभी सियासी दल अभी से वोटों का गुणा भाग करने में जुट गए हैं। इस कड़ी यह चुनाव कांग्रेस और सपा गठबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। क्योंकि जिन सीटों पर चुनाव होने हैं उनमें से ज्यादातर सीटों पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार जीते हैं।
लोकसभा चुनाव में कई विधायक भी चुनकर आए हैं, लिहाजा उन खाली सीटों के लिए विधानसभा के उपचुनाव होंगे। लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद फूलपुर, खैर, गाजियाबाद, मझावन, मीरापुर, अयोध्या, करहल, कटेहरी, कुंदरकी विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना तय है। वहीं हाल में कानपुर के विधायक को हुई सजा के बाद वहां भी उपचुनाव होना तय है। बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए ने लोकसभा चुनाव में 8 विधायकों को चुनावी मैदान में उतारा था वहीं समाजवादी पार्टी ने 6 विधायकों को टिकट दिया था।
इन सीटों पर उपचुनाव
- फूलपुर
- खैर
- गाजियाबाद
- मझावन
- मीरापुर
- अयोध्या
- करहल
- कटेहरी
- कुंदरकी
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यूपी में कांग्रेस को 6 सीटों पर सफलता मिलने से पार्टी को संजीवनी मिल गई है। ऐसे में बढ़े हुए मनोबल के साथ वह उपचुनाव में कुछ समाजवादी पार्टी के सामने कुछ सीटों की मांग रख सकती है। लिहाजा यह वक्त ही बताएगी कि सीटों के इस मोलभाव में कांग्रेस किस हद तक सफल हो पाती है। इसके साथ ही यह भी देखना दिलचस्प होगा कि लोकसभा चुनाव में सपा के साथ कदमताल करनेवाली कांग्रेस क्या सपा के प्रत्याशियों को जिताने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को लोकसभा चुनाव की तरह एक्टिव करेगी?
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक लोकसभा के ताजा रिजल्ट से उत्साहित कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों की नजर अभी से अगले विधानसभा चुनाव पर है। लेकिन उससे पहले सूबे में होनेवाले उपचुनाव दोनों दलों के लिए आपकी रिश्तों और प्रदर्शन के लिहाज से अहम होगा। खासतौर से कांग्रेस के सामने अपने जनाधार को बचाए रखने की सबसे बड़ी चुनौती होगी।