
मैनपुरीः फिरोजाबाद के दिहुलि में हुए नरसंहार मामले में 44 साल के बाद तीन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। 18 नवंबर 1981 की शाम 17 हथियारबंद बदमाशों ने 24 दलितों की हत्या कर दी थी। 23 लोगों की मौके पर और एक की मौत इलाज के दौरान हुई थी।
हथियारबंद बदमाशों ने 24 लोगों को मार डाला था
जानकारी के अनुसार, फिरोजाबाद जिले के थाना जसराना क्षेत्र के ग्राम दिहुलि में 18 नवंबर 1981 की शाम पांच बजे के करीब 17 हथियारबंद बदमाशों ने गांव में घुसकर दलित बस्ती में हमला बोला था। सारे हमलावर पुलिस की वर्दी में आये थे। घरों में मौजूद महिलाओं, पुरुष और बच्चों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाना शुरू कर दी थी। बदमाशों ने तीन घंटे तक फायरिंग की थी। फायरिंग में 23 लोगों की मौके पर ही मृत्यु हो गई थी। जबकि एक घायल की इलाज के दौरान फिरोजाबाद अस्पताल में जान चली गई थी।
इन लोगों के खिलाफ दर्ज हुआ था मामला
घटना की प्राथमिकी दिहुलि निवासी लायक सिंह ने 19 नवंबर को जसराना थाने में राधेश्याम उर्फ राधे, संतोष चौहान उर्फ संतोषा के खिलाफ दर्ज कराई गई। मामले में रामसेवक, रविंद्र सिंह, रामपाल सिंह, वेदराम सिंह, मिट्ठू, भूपराम, मानिक चंद्र, लटूरी, रामसिंह, चुन्नीलाल, होरीलाल, सोनपाल, लायक सिंह, बनवारी, जगदीश, रेवती देवी, फूल देवी, कप्तान सिंह, कमरुद्दीन, श्यामवीर, कुंवरपाल, लक्ष्मी को शामिल किया गया था। पुलिस ने विवेचना कर आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया था।
सजा सुनते ही रोने लगे दोषी
मामले की सुनवाई कुछ दिन जिला न्यायालय में चली, लेकिन डकैती न्यायालय न होने के वाद को प्रयागराज के लिए स्थानांतरित कर दिया गया। वहां सुनवाई के बाद मामला फिर से मैनपुरी स्पेशल जज डकैती न्यायालय भेज दिया गया। जहां मामले की 15 सालों से सुनवाई चल रही थी। 11 मार्च को डकैती न्यायालय की न्यायाधीश इंदिरा सिंह ने तीनों आरोपियों को सामूहिक हत्याकांड का दोषी करार दिया और सजा सुनाई जाने के लिए 18 तारीख नियत की थी। मंगलवार को दोषी कप्तान सिंह, रामसेवक और रामपाल न्यायालय में उपस्थित हुए। जहां तीनों दोषी रो रो कर न्यायालय के सामने अपने आप को बेगुनाह बताते रहे। इस दौरान न्यायाधीश ने इंदिरा सिंह ने ती दोषियों को फांसी की सजा सुनते हुए 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
रिपोर्ट- सलमान मंसूरी