कानपुर से बड़ा अजीब सा मामला सामने आया है जिसे पढ़ने के बाद आप पूरी तरह से हैरान हो जाएंगे। सुमित्रा नाम की एक महिला दहेज हत्या के मामले में कानपुर जेल में सजा काट रही थी। महिला के अलावा उसका परिवार भी इस मामले में जेल में था। सुमित्रा ने इस मामले में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के पास एक माफी याचिका भेजी। राज्यपाल ने महिला की याचिका को स्वीकार कर लिया और उसकी रिहाई के आदेश दे दिए। मगर एक विभाग के क्लर्क बाबू की गलती के कारण महिला को जेल से रिहाई नहीं मिल पाई। आइए अब आपको इस मामले की पूरी जानकारी देते हैं।
क्या है कानपुर का यह पूरा मामला?
TOI के मुताबिक दहेज हत्या के एक मामले में सुमित्रा नाम की महिला और उसका परिवार कानपुर जेल में सजा काट रहे थे। इनको आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। जेल में सजा काटते हुए सुमित्रा के पति की मौत हो गई जबकि वह और उसका बेटा जेल में ही थे। जेल से सुमित्रा ने राज्यपाल के पास एक माफी याचिका भेजी। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सुमित्रा की माफी याचिका को स्वीकार कर लिया और साल 2022 में रिहाई का आदेश दे दिया। मगर इसके साथ 2-2 लाख रुपेय की दो जमानतें लगाने का आदेश भी दिया। लेकिन सुमित्रा ने बताया कि वह गरीब है और यह जमानत राशि जमा नहीं कर सकती है। इसके बाद तहसीलदार ने इसकी जांच की और महिला की बात सही साबित हुई। इसके बाद 2023 की जुलाई में एक बगैर जमानत राशि के रिहाई करने का आदेश दिया गया।
महिला की फाइल जिला प्रोबेशन दफ्तर में आया जहां आशीष कुमार जला परिवीक्षा काउंटर सहायक के तौर पर तैनात थे। उनके पास फाइल पहुंची मगर उन्होंने फाइल को DM के पास नहीं भेजा और 10 महीनों तक अपने पास ही रखा। जब यह फाइल DM के पास पहुंची तो पूरा मामला सामने आया।
DM ने बाबू की लगाई फटकार
सोमवार को सुमित्रा के रिहाई से जुड़ी फाइल DM के पास पहुंची जिसके बाद पूरा मामला प्रकाश में आया। इसके बाद डीएम ने क्लर्क की क्लास लगा दी। मामले में DM राकेश कुमार सिंह ने बताया कि, लापरवाही के मामले में क्लर्क के निलंबन की सिफारिश की गई है और साथ में ही उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। इसके अलावा महिला की रिहाई के लिए भी आदेश दिया गया है। आपको बता दें कि दहेज हत्या के मामले में सुमित्रा का बेटा अभी भी जेल में बंद है, सिर्फ महिला की रिहाई हुई है।
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