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अखिलेश से नाराज स्वामी प्रसाद मौर्य बना सकते हैं नई पार्टी, 22 फरवरी को समर्थकों के साथ मीटिंग

सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य 22 फरवरी को लखनऊ में समर्थकों के साथ बैठक करेंगे। संभावना है कि वे नई पार्टी का भी ऐलान कर सकते हैं।

Reported By : Vishal Singh Edited By : Malaika Imam Updated on: February 19, 2024 9:20 IST
अखिलेश यादव से नाराज स्वामी प्रसाद मौर्य- India TV Hindi
Image Source : PTI अखिलेश यादव से नाराज स्वामी प्रसाद मौर्य

अखिलेश यादव से नाराज स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी नई पार्टी बनाने की तैयारी में हैं। सूत्रों के मुताबिक, 22 फरवरी को स्वामी प्रसाद मौर्य लखनऊ में समर्थकों के साथ बैठक करेंगे। जहां नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं। अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है।

सपा के राष्ट्रीय महासचिव पद से दिया इस्तीफा

सपा के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी टिप्पणियों को लेकर पार्टी के कुछ नेताओं के रवैये से नाराज होकर 13 फरवरी को सपा के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्‍तीफा दे दिया था। मौर्य ने पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के नाम लिखे त्यागपत्र को सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर शेयर किया। उन्होंने कहा कि वह बिना पद के भी पार्टी को मजबूत करने के लिए तत्पर रहेंगे। सपा से विधान परिषद के सदस्य मौर्य ने पार्टी अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा है कि उन्होंने पार्टी का जनाधार बढ़ाने का काम 'अपने तौर-तरीके' से जारी रखा और बीजेपी के ‘मकड़जाल’ में फंसे आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के ‘स्वाभिमान’ को जगाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि इस पर पार्टी के ही कुछ 'छुटभैये' और कुछ बड़े नेताओं ने उसे उनका निजी बयान कहकर उनके प्रयास की धार को कुंद करने की कोशिश की। 

"ढोंग ढकोसले पाखंड और आडंबर पर प्रहार किया"

मौर्य ने कहा कि उन्होंने अपने बयानों के माध्यम से ‘ढोंग ढकोसले पाखंड’ और ‘आडंबर’ पर प्रहार किया, जिनके जरिए वह लोगों को वैज्ञानिक सोच के साथ खड़ा करने और सपा से जोड़ने के अभियान में लगे थे, लेकिन पार्टी के कुछ नेताओं ने उनकी टिप्पणियों को उनका निजी बयान बता दिया। उन्होंने कहा कि इसमें पार्टी के वरिष्ठतम नेता भी शामिल थे जो हैरान करने वाला था। मौर्य ने पत्र में कहा कि उनके प्रयास से आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों का रुझान समाजवादी पार्टी की तरफ बढ़ा है और पूछा कि जनाधार बढ़ाने का प्रयास व वक्तव्य पार्टी का न होकर निजी कैसे हो जाता है? उन्होंने कहा, “मैं नहीं समझ पाया एक राष्ट्रीय महासचिव मैं हूं, जिसका कोई भी बयान निजी बयान हो जाता है और पार्टी के कुछ राष्ट्रीय महासचिव व नेता ऐसे भी हैं जिनका हर बयान पार्टी का हो जाता है। यह समझ के परे है।" 

कई विवादास्पद बयान दे चुके हैं स्वामी प्रसाद मौर्य

मौर्य ने कहा, “यदि राष्ट्रीय महासचिव पद में भी भेदभाव है, तो मैं समझता हूं कि ऐसे भेदभाव पूर्ण, महत्वहीन पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से मैं त्यागपत्र दे रहा हूं, कृपया इसे स्वीकार करें।" उन्होंने कहा, "पद के बिना भी पार्टी को सशक्त बनाने के लिए मैं तत्पर रहूंगा। आपके द्वारा दिये गए सम्मान, स्नेह व प्यार के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।" स्वामी प्रसाद मौर्य श्री रामचरितमानस और सनातन धर्म के साथ-साथ अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर भी कई विवादास्पद बयान दे चुके हैं, जिसको लेकर व्यापक स्तर पर तल्ख प्रतिक्रिया हुई थी। खुद उनकी पार्टी में ही उनका विरोध हुआ था। 

स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में उतरे राम गोविंद चौधरी

वहीं, स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय सचिव राम गोविंद चौधरी ने बुधवार को पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को पत्र लिखकर उनसे मौर्य का इस्तीफा स्वीकार नहीं करने का अनुरोध करते हुए कहा कि वह आरएसएस और बीजेपी द्वारा फैलाए गए ‘‘जहर’’ का मुकाबला कर रहे थे। चौधरी ने सपा प्रमुख यादव को पत्र में लिखा है, ‘‘आपके यशस्वी नेतृत्व में समाजवादी पार्टी का हर कार्यकर्ता और और नेता साम्प्रदायिकता और पाखंड के इस जहर का असर कम करने के लिए संघर्ष कर रहा है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य भी बीजेपी और आरएसएस के इस जहर का मजबूती से प्रतिवाद कर रहे हैं।’’ (इनपुट- भाषा के साथ)

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