लखनऊः उत्तर प्रदेश सरकार की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने हाथरस भगदड़ मामले में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में 121 लोगों की मौत के लिए सत्संग के आयोजकों को दोषी ठहराया गया है। घटना के कुछ ही दिन बाद एसआईटी ने 2, 3 और 5 जुलाई को भगदड़ स्थल का निरीक्षण किया था।
हाथरस भगदड़ मामले में SIT रिपोर्ट की 5 बड़ी बातें
- एसआईटी ने अपनी जांच में आरोप लगाया कि 'सत्संग' आयोजकों ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उचित व्यवस्था नहीं की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, आयोजक तथ्यों को छिपाकर कार्यक्रम की अनुमति लेने में कामयाब रहे। जांच में दावा किया गया है कि धार्मिक कार्यक्रम के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा शर्तों के अनुरूप अनुमति नहीं दी गई थी।
- एसआईटी ने भगदड़ के पीछे 'बड़ी साजिश' से इनकार नहीं किया है और गहन जांच की जरूरत बताई है। सूरज पाल उर्फ 'भोले बाबा' के वकील ने अभी हाल में दावा किया था कि अज्ञात लोगों द्वारा कोई जहरीला पदार्थ छिड़के जाने से भगदड़ मच गई।
- जांच पैनल ने कहा कि स्थानीय एसडीएम, सीओ, तहसीलदार (राजस्व अधिकारी), थानाध्यक्ष और चौकी प्रभारी अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही के दोषी थे।
- एसआईटी के मुताबिक, सिकंदराराऊ के एसडीएम ने कथित तौर पर कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण किए बिना सत्संग की अनुमति दे दी और यहां तक कि वरिष्ठ अधिकारियों को भी सूचित नहीं किया। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि आयोजन समिति ने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया और स्थानीय पुलिस को कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण करने से रोकने का प्रयास किया गया।
- इसके अलावा, सूरजपाल उर्फ भोले बाबा को बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के भीड़ से मिलने की अनुमति दी गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोई बैरिकेडिंग या मार्ग की व्यवस्था नहीं की गई थी और जब भगदड़ हुई तो आयोजन समिति के सदस्य मौके से भाग गए।