Tuesday, November 19, 2024
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जौनपुर में श्रमजीवी बम विस्फोट के दोषियों को फांसी की सजा, 18 साल बाद पीड़ितों को मिला न्याय

श्रमजीवी विस्फोट कांड के दो दोषियों को जौनपुर की जिला अदालत ने मौत की सजा सुनाई है। इसके साथ ही 5-5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। 18 साल बाद कोर्ट से पीड़ितों को न्याय मिला।

Written By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Updated on: January 03, 2024 18:53 IST
श्रमजीवी विस्फोट कांड के दोषियों को फांसी की सजा- India TV Hindi
Image Source : FILE-PTI श्रमजीवी विस्फोट कांड के दोषियों को फांसी की सजा

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में 28 जुलाई 2005 को हुए श्रमजीवी ट्रेन विस्फोट कांड के दोनों दोषियों को कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने 5-5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अपर सत्र न्यायधीश प्रथम की कोर्ट ने दोनों आतंकियों को मौत की सजा सुनाई। इन दोनों को 22 दिसंबर को दोषी करार दिया गया था।  बांग्लादेशी के रहने वाले दोषी हिलाल उर्फ हिलालुदीन व पश्चिम बंगाल के नफीकुल विश्वास की पत्रावली करीब छह साल से अंतिम बहस में चल रही थी। 

14 लोगों की मौत हुई थी

सिंगरामऊ के हरपालगंज रेलवे स्टेशन के पास श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में 28 जुलाई 2005 को बम विस्फोट हुआ था। इस हादसे में 14 लोगो मौत हुई थी जबकि 62 लोग घायल हुए थे। सजा सुनाने के दौरान न्यायालय परिसर में काफी संख्या में फोर्स की तैनाती रही। कोर्ट  फैसले के बाद दोनों दोषियों को कड़ी सुरक्षा में जेल भेज दिया गया। 

इन धाराओं में सुनाई गई सजा

मिली जानकारी के अनुसार, हिलालुद्दीन उर्फ़ हेलाल को धारा 148  में 3 वर्ष कारावास, 5 हज़ार जुर्माना, धारा 302/ 149  में मृत्युदंड, धारा 307/149 में 10 वर्ष सश्रम कारावास, 5 लाख अर्थदंड, धारा 3 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम  में सश्रम आजीवन कारावास,  5 लाख जुर्माना, धारा 150 रेलवे अधिनियम आजीवन कारावास, 151 रेलवे अधिनियम - 5 वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई। इसके अलावा नफीकुल विश्वास को 148 में 3 वर्ष कारावास, 5 हज़ार अर्थदंड, धारा 302/149 में मृत्युदंड, 307/149 में 10 वर्ष सश्रम कारावास, 5 लाख अर्थदंड, धारा 3 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 में आजीवन कारावास, 5 लाख जुर्माना, धारा 150 रेलवे अधिनि. में आजीवन करावास, धारा 151 रेलवे अधि. में 5 वर्ष का कारावास की सजा सुनाई गई।

दो आतंकियों को पहले ही मिल चुका है मृत्युदंड

बम बिस्फोट मामले में ट्रेन में बम रखने वाले बांग्लादेशी आतंकी रोनी उर्फ आलमगीर और षड्यंत्र करने वाले आतंकी ओबैदुर्रहमान को वर्ष 2016 में अपर सत्र न्यायाधीश बुधिराम यादव की अदालत में मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी। दोनों ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की है जो विचाराधीन है। शेष दोनों दोषियों बांग्लादेश निवासी हिलालुद्दीन व पश्चिम बंगाल के नफीकुल को दोषी करार दिया गया था। मामले की सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता बीरेंद्र प्रताप मौर्य ने दोनों आतंकियों को मौत की सजा सुनाने की अपील की थी। 

 

(रिपोर्ट- सुधाकर शुक्ला)

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