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पहली बार एक मंच पर मिले तीनों पीठों के शंकराचार्य, महाकुंभ में देखने को मिला सुंदर नजारा

महाकुंभ में पहली बार तीनों पीठों के शंकराचार्यों को एक साथ एक मंच पर देखा गया। इस दौरान तीनों ही शंकराचार्यों ने एक ही मच से सनातन के लिए संयुक्त धर्मादेश जारी किया।

Edited By: Avinash Rai @RaisahabUp61
Published : Jan 29, 2025 7:13 IST, Updated : Jan 29, 2025 7:13 IST
Shankaracharyas of all three Peethas met on one stage for the first time beautiful sight was seen in
Image Source : PTI पहली बार एक मंच पर मिले तीनों पीठों के शंकराचार्य

महाकुम्भ में पहली बार देश के तीन पीठों के शंकराचार्य एक ही मंच पर मिले और सनातन के लिए संयुक्त धर्मादेश जारी किया जिसमें देश की एकता, अखंडता, सामाजिक समरसता और सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण निर्णय किए गए। श्री शंकराचार्य शिविर, ज्योतिर्मठ बद्रिकाश्रम के प्रभारी मुकुंदानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि इस आयोजन में श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य विदुशेखर भारती जी ने कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य जी ने लोक उद्धार के लिए एक विशिष्ट ग्रंथ प्रश्नोत्तर मल्लिका लिखी जिसमें उन्होंने स्वयं प्रश्न करके उत्तर दिया। 

क्या बोले श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य

श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य ने बताया कि इस ग्रंथ में एक प्रश्न है कि माता कौन है? जिसका जवाब में आदि शंकराचार्य जी ने लिखा, ‘‘धेनु: अर्थात गो माता।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आदि शंकराचार्य जी ने अपनी मल्लिका में दिखाया है कि गो माता की क्या महिमा है। इसलिए गो माता को राष्ट्र माता घोषित करना चाहिए और इसकी विशेष रूप से रक्षा होनी चाहिए।’’ तीन पीठों के शंकराचार्यों ने समवेत रूप से एक संयुक्त धर्मादेश भी जारी किया। श्रृंगेरी शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी विधु शेखर भारती जी, द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी और ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने परम धर्मसंसद में हिस्सा लिया और सनातन संस्कृति की रक्षा और उन्नयन के लिए 27 धर्मादेश भी जारी किए। 

क्या बोले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

इस अवसर पर शंकराचार्य स्वामी सदानंद ने संस्कृत भाषा के महत्व पर जोर दिया। वहीं, ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने संस्कृत भाषा के लिए बजट दिए जाने पर जोर दिया। धर्मादेश में नदियों और परिवार रूपी संस्था को बचाने के लिए सबको आगे आने का आह्वान किया और धार्मिक शिक्षा को हिंदुओं का मौलिक अधिकार बनाने पर भी जोर दिया गया। 

(इनपुट-भाषा)

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