उत्तर प्रदेश के संभल जिले के चंदौसी क्षेत्र के लक्ष्मण गंज इलाके में एक ऐतिहासिक बावड़ी की खोज हुई है, जो लगभग 150 साल पुरानी है और 400 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली हुई है। यह बावड़ी हाल ही में खुदाई के दौरान प्राप्त हुई, जो 13 दिसंबर को बंद हुए भस्म शंकर मंदिर के पुनः खुलने के बाद की जा रही खुदाई में मिली। इस ऐतिहासिक संरचना का पता अतिक्रमण रोधी अभियान के दौरान चला।
चंदौसी नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी कृष्ण कुमार सोनकर ने बताया कि शनिवार को इस स्थल पर खुदाई शुरू हुई। अधिकारियों ने कहा कि बावड़ी के अंदर दो क्षतिग्रस्त मूर्तियां मिली हैं, जिन्हें धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। साथ ही बावड़ी में संरचना की कई विशेषताएं पाई गईं, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इस बावड़ी का निर्माण बिलारी के राजा के नाना के शासनकाल में किया गया था। माना जा रहा है कि यह संरचना उस समय की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण हो सकती है।
संरचना की विशेषताएं
संभल के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) राजेंद्र पेंसिया ने कहा कि बावड़ी की संरचना में चार कमरे और एक बड़ा जलाशय है। इसके ऊपरी मंजिल में ईंटों का इस्तेमाल किया गया है, जबकि दूसरी और तीसरी मंजिल संगमरमर से बनी है, जो उस समय की वास्तुशिल्प शैली को दर्शाता है। डीएम ने कहा, "यह स्थल पहले तालाब के रूप में पंजीकृत था, और बावड़ी के भीतर की संरचनाएं बहुत प्राचीन हैं।" उन्होंने यह भी बताया कि खुदाई के दौरान कुछ मूर्तियां प्राप्त हुई हैं, जो मंदिर से संबंधित हो सकती हैं। इन मूर्तियों को अब अलग-अलग मंदिरों में सुरक्षित रखने की योजना बनाई गई है।
डीएम राजेंद्र पेंसिया ने यह भी बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से इस स्थल का सर्वेक्षण कराने की संभावना पर विचार किया जा रहा है। यदि आवश्यक हुआ तो एएसआई से इस स्थल का पूरा सर्वेक्षण कराया जा सकता है, ताकि इस क्षेत्र के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को समझा जा सके।
मंदिर और बावड़ी का संरक्षण
संभल के जिला अधिकारी ने आश्वासन दिया कि बावड़ी और मंदिर की संरचनाओं को बचाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस स्थल पर काम सावधानी से किया जा रहा है, ताकि संरचना को किसी भी तरह का नुकसान न हो। इसके अलावा मंदिर के आस-पास के अतिक्रमण को हटाया जाएगा और वहां की स्थिति को बेहतर बनाने के प्रयास किए जाएंगे। प्रारंभिक अनुमानों से पता चलता है कि बावड़ी लगभग 125 से 150 साल पुरानी है।
चंदौसी के निवासी कौशल किशोर ने दो दिन पहले जिला कार्यालय को इस प्राचीन बावड़ी के बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने इस बावड़ी की ऐतिहासिक अहमियत पर जोर देते हुए यह भी कहा कि पास में स्थित बांके बिहारी मंदिर की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। किशोर ने दावा किया कि पहले इस क्षेत्र में हिंदू समुदाय के लोग रहते थे और और बिलारी की रानी यहीं रहती थीं। डीएम पेंसिया ने मंदिर के जीर्णोद्धार का भी आश्वासन दिया और कहा कि जल्द ही इस मंदिर को भी पुनः संजीवित करने के प्रयास किए जाएंगे। (भाषा इनपुट के साथ)
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