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पत्नी के नाम संपत्ति खरीदने वालों के लिए बड़ी खबर, प्रॉपर्टी को लेकर हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश में कहा है कि पति द्वारा पत्नी के नाम से खरीदी गई संपत्ति पारिवारिक संपत्ति मानी जाएगी। हिंदू परिवार में चलन है कि पति अपनी पत्नी के नाम जमीन खरीदते हैं। यह आदेश जस्टिस देशवाल ने मृत पिता की खरीदी गई संपत्ति में हिस्सा देने की मांग को लेकर दाखिल पुत्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Feb 23, 2024 22:10 IST, Updated : Feb 23, 2024 22:13 IST
allahabad high court
Image Source : FILE PHOTO इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संपत्ति के एक विवाद में कहा है कि एक व्यक्ति द्वारा अपनी गृहिणी पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति, पारिवारिक संपत्ति है क्योंकि उसके पास आय का कोई स्वतंत्र स्रोत नहीं है। उक्त व्यवस्था देते हुए जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल ने कहा कि हिंदू पतियों के लिए अपनी पत्नियों के नाम पर संपत्ति खरीदना आम बात है। दिवंगत पिता की संपत्ति में सह स्वामित्व के पुत्र के दावे को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा, “अदालत भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 के तहत यह मान सकती है कि हिंदू पति द्वारा अपनी गृहिणी पत्नी के नाम खरीदी गई संपत्ति, परिवार की संपत्ति होगी क्योंकि सामान्य स्थिति में पति अपने परिवार के हित में घर संभालने वाली पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदता है जिसके पास आय का कोई स्वतंत्र स्रोत नहीं होता है।”

अपीलकर्ता ने क्या मांग की?

अदालत ने कहा कि जब तक यह सिद्ध ना हो जाए कि अमुक संपत्ति पत्नी की आय से खरीदी गई है, तबतक वह संपत्ति पति की आय से खरीदी मानी जाती है। अपीलकर्ता सौरभ गुप्ता ने मांग की थी कि उसे अपने पिता द्वारा खरीदी गई संपत्ति के एक चौथाई भाग का सह स्वामी का दर्जा दिया जाए। उसकी दलील थी कि चूंकि संपत्ति उसके दिवंगत पिता द्वारा खरीदी गई थी, वह अपनी मां के साथ उसमें सह हिस्सेदार है। सौरभ गुप्ता की मां इस वाद में प्रतिवादी हैं। सौरभ गुप्ता ने संपत्ति किसी तीसरे पक्ष को हस्तांतरित करने के खिलाफ रोक लगाने की मांग करते हुए एक अर्जी दाखिल की थी।

पति द्वारा उपहार में दी गई थी संपत्ति

सौरभ की मां ने एक लिखित बयान में कहा कि वह संपत्ति उसके पति द्वारा उसे उपहार में दी गई थी क्योंकि उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं था। अंतरिम रोक की मांग वाला आवेदन निचली अदालत द्वारा खारिज कर दिया गया था जिसके खिलाफ सौरभ गुप्ता ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की। अपीलकर्ता की अपील स्वीकार करते हुए अदालत ने 15 फरवरी को दिए अपने निर्णय में कहा कि एक हिंदू पति द्वारा अपनी गृहिणी पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति, पति की व्यक्तिगत आय से खरीदी गई संपत्ति मानी जाती है, क्योंकि पत्नी के पास आय का कोई स्वतंत्र स्रोत नहीं होता है। अदालत ने कहा कि ऐसी संपत्ति प्रथम दृष्टया एक संयुक्त हिंदू परिवार की संपत्ति बन जाती है। अदालत ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में यह आवश्यक हो जाता है कि उस संपत्ति की तीसरे पक्ष के सृजन से रक्षा की जाए। (भाषा)

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