
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में हर साल अनोखी कपड़ा फाड़ होली होती है। कपड़ा फाड़ होली का शनिवार को जिलाधिकारी रवींद्र कुमार मांदड़ और पुलिस उपायुक्त (नगर) अभिषेक भारती ने भी आनंद उठाया। शहर के प्रसिद्ध लोकनाथ चौराहे के पास स्थित कोतवाली के बाहर ये होली हुई।
एक-दूसरे के फाड़े जाते हैं कपड़े
डीसीपी (नगर) अभिषेक भारती के साथ कपड़ा फाड़ होली देखने आए मांदड़ ने पीटीआई से कहा, 'मैंने पहली बार ऐसी होली देखी, जिसमें हर कोई मस्ती के रंग में सराबोर होकर एक-दूसरे के कपड़े फाड़ता है।' उन्होंने बताया कि इस होली में खास बात देखने को मिली कि कपड़े फाड़े जाने से कोई भी आहत नहीं होता और हर कोई रंग और पानी की बौछार में नाचता-गाता है।
होली खत्म होने के बाद तारों में टंगे दिखते हैं कपड़े
लोकनाथ चौराहे पर आभूषण की दुकान चलाने वाले कुलदीप यादव ने बताया कि दो दिन तक चलने वाली कपड़ा फाड़ होली में चौक ही नहीं, पूरे शहर से लोग शामिल होने आते हैं। होली खेलने के बाद अर्धनग्न स्थिति में वापस घर जाते हैं। उन्होंने बताया कि होली खत्म होने के बाद हर तरफ बिजली के तारों पर आपको कपड़े टंगे दिखेंगे और कपड़ों की संख्या बताती है कि लोगों ने कितनी जमकर होली खेली है।
साल 1957 से चली आ रही ये परंपरा
इस आयोजन के लिए चौक के युवा और व्यापारी हफ्तों से तैयारी करते हैं। वरिष्ठ समाजसेवी अभय अवस्थी बताते हैं कि चौक की कपड़ा फाड़ होली की परंपरा 1957 में शहर के दक्षिणी क्षेत्र से विधायक छुन्नन गुरु के समय शुरू हुई।
जब पहली बार होली में फाड़े गए धोती-कुर्ता
कहा जाता है कि कांग्रेस नेता सुनीत व्यासजी एक बार धोती-कुर्ता पहनकर छुन्नन गुरु से होली मिलने आए। अवस्थी ने बताया कि होली के जोश में छुन्नन गुरु के चेलों ने व्यासजी का धोती-कुर्ता फाड़कर बिजली के तार पर टांग दिया। इसके बाद व्यासजी के समर्थकों ने भी गुरु की धोती और बंडी फाड़कर तार पर टांग दी। उन्होंने बताया कि दोनों नेता केले का पत्ता लपेटकर अपने-अपने घर को लौटे। (भाषा के इनपुट के साथ)