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नोएडा में किसी इमारत का नहीं हुआ स्ट्रक्चरल ऑडिट, भूकंप में हो सकती है बड़ी तबाही

स्ट्रक्चर ऑडिट को लेकर नोएडा प्राधिकरण की पॉलिसी करीब छह महीने पहले ही बन चुकी है और सात एजेंसियों के साथ उसका करार भी हो चुका है, लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि अभी तक किसी भी बिल्डिंग का स्ट्रक्चर ऑडिट शुरू भी नहीं हुआ।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published : Oct 04, 2023 13:13 IST, Updated : Oct 04, 2023 13:13 IST
नोएडा हाइराइज
Image Source : पीटीआई/फाइल नोएडा हाइराइज

नोएडा: छह महीने पहले स्ट्रक्चर ऑडिट को लेकर नोएडा अथॉरिटी की पॉलिसी बन चुकी है लेकिन अभी तक किसी भी बिल्डिंग का स्ट्रक्चर ऑडिट शुरू भी नहीं हुआ। सात एजेंसियों के साथ नोएडा अथॉरिटी का करार भी हो चुका है। अथॉरिटी की ओर से आवेदन करने वालों का कोई सर्वे भी नहीं किया गया। ऐसे में भूकम्प का एक तेज झटका नोएडा के लिए घातक होगा। इसकी बड़ी वजह यह है कि नोएडा सिसमिक जोन-4 में आता है जो कि भूकम्प के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जाता है।

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नोएडा अथॉरिटी के अधिकारी ने बताया सबसे पहले सोसाइटी वाले, बिल्डर या एओए को स्ट्रक्चर ऑडिट के लिए कहा जायेगा। इसके बाद एक प्रतिनिधि 25 प्रतिशत निवासियों की सहमति के साथ अथॉरिटी में आवेदन करेगा। अथॉरिटी की एक टीम सर्वे करने सोसाइटी जाएगी। वहां सर्वे की रिपोर्ट को अथॉरिटी की समिति के समक्ष रखा जाएगा। यहां से पास होने के बाद बिल्डर या एओए से अथॉरिटी के पैनल की सात एजेंसियों में से एक का चुनाव करने के लिए कहा जायेगा।

7 से 8 रिक्टर स्केल के भूकंप को झेल सकती हैं इमारतें

उन्होंने बताया कि अब तक छह सोसाइटी के एओए की ओर से स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने के लिए आवेदन आए है। नोएडा में करीब 100 सोसायटियां हैं जिनमें 400 हाइराइज इमारतें है। सवाल यह है कि इन इमारतों की मजबूती कितनी है। इनमें से अधिकांश इमारतों को बने हुए पांच साल से ज्यादा हो गए। अथॉरिटी का दावा है यहां बनी इमारत रिक्‍टर स्केल पर 7 से 8 तक का झटका झेल सकती है। अथॉरिटी ने यह भी विकल्‍प दिया है कि पांच साल से पुरानी इमारतों के आरडब्ल्यूए या एओए भी इन एजेंसियों से स्ट्रक्चर ऑडिट करवा सकती है। इसका खर्चा उन्हें खुद देना होगा।

सिस्मिक जोन-4 में आता है नोएडा

अथॉरिटी ने बताया कि पॉलिसी लागू होने से पहले बिल्डर खुद ऑडिट कराता था। इसकी रिपोर्ट आईआईटी से संबंधित कोई प्रोफेसर एप्रूव कर सकता था। इस रिपोर्ट को प्राधिकरण की मान्यता मिलने के बाद बिल्डर को ओसी और सीसी जारी होता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। नोएडा सिस्मिक जोन-4 में आता है जो भूकम्प के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जाता है। इसके मद्देनजर नोएडा में बनाए जा रहे प्रोजेक्ट, सड़क और इमारतें सिसमिक जोन-5 के हिसाब से बनाई जा रही हैं। हालांकि नोएडा के बायर्स की ओर से हमेशा स्ट्रक्चर को लेकर शिकायत की जाती रही है। इसके लिए अथॉरिटी ने एक कमेटी का गठन किया है जो स्ट्रक्चरल ऑडिट के दौरान यह तय करेगी कि इमारत में माइनर डिफेक्ट है या मेजर। इसके बाद ऑडिट होगा और मरम्मत होगी।

अथॉरिटी के पैनल में जो एजेंसियां हैं, उनमें आईआईटी कानपुर, एमएनआईटी प्रयागराज, बिट्स पिलानी, एनआईटी जयपुर, सीबीआरआई रुड़की शामिल हैं। नोएडा अथॉरिटी ने शहर में चार श्रेणियों में जर्जर इमारतों का सर्वे कराया था। इसमें कुल 1,757 इमारतों को चिह्नित किया गया था। इसमें 114 इमारतों ऐसी थीं, जिनको ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए था, लेकिन अब तक किसी भी इमारत को ध्वस्त नहीं किया गया। इसमें पहला असुरक्षित और जर्जर, दूसरा अधिसूचित व अर्जित भवन पर अवैध कब्जा, तीसरा अधिसूचित व अनर्जित पर बनी इमारत व चौथा ग्राम की मूल आबादी में बनी बहुमंजिला इमारतों को शामिल किया गया था। सर्वे के परिणाम चौंकाने वाले थे। पहली श्रेणी में कुल 56 जर्जर व असुरक्षित इमारत थी। कुल मिलाकर 1,757 इमारतों की एक सूची बनाई गई। ध्वस्तीकरण अब तक नहीं किया जा सका। (आईएएनएस)

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