मायावती ने सोमवार को बसपा के राज्य मुख्यालय के पास बने पुल को पार्टी कार्यालय की सुरक्षा के लिये खतरा बताया है। ये पुल समाजवादी पार्टी (SP) सरकार में बनाया गया था। मायावती ने योगी सरकार से बसपा कार्यालय को किसी 'सुरक्षित स्थान' पर ले जाने की व्यवस्था कराने का अनुरोध किया है। मायावती के इस बयान पर पलटवार करते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बसपा को भाजपा से मिली हुई पार्टी बताया और कहा कि पार्टी नेतृत्व को अगर लगता है कि उसकी सुरक्षा को खतरा है तो वह केन्द्र सरकार को चिट्ठी लिखकर इस पुल को तुड़वा दे।
सपा को जमकर खरी-खोटी सुनायी
इस बीच उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता केशव प्रसाद मौर्य ने भी मायावती का समर्थन करते हुए सपा पर निशाना साधा और कहा कि बहन मायावती और जनता की सुरक्षा को लेकर सरकार हमेशा सतर्क रही है। मायावती ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर सिलसिलेवार टिप्पणियां कर सपा को जमकर खरी-खोटी सुनायी। उन्होंने कहा, "सपा अति-पिछड़ों के साथ-साथ जबरदस्त दलित-विरोधी पार्टी भी है। हालांकि बसपा ने पिछले आम चुनाव में सपा से गठबन्धन करके इनके दलित-विरोधी चाल, चरित्र और चेहरे को थोड़ा बदलने का प्रयास किया। लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद ही सपा पुनः अपने दलित-विरोधी जातिवादी एजेंडे पर आ गई।"
मायावती ने गेस्ट हाउस कांड का किया जिक्र
मायावती ने एक अन्य टिप्पणी में जून 1995 में हुए गेस्ट हाउस कांड का जिक्र करते हुए कहा, "अब सपा मुखिया जिससे भी गठबन्धन की बात करते हैं, तो उनकी पहली शर्त बसपा से दूरी बनाए रखने की होती है, जिसे मीडिया भी खूब प्रचारित करता है।’’ पूर्व मुख्यमंत्री एवं बसपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि सपा शासन में कई फैसले दलित विरोधी किये गये। उन्होंने इसी टिप्पणी में आगे कहा, ‘‘इसमें बसपा प्रदेश मुख्यालय के पास एक ऊंचा पुल बनाने का भी कृत्य है। यहां से षड्यंत्रकारी और अराजक तत्व पार्टी दफ्तर, कर्मचारियों और राष्ट्रीय प्रमुख को भी हानि पहुंचा सकते हैं। इस वजह से पार्टी को महापुरुषों की प्रतिमाओं को वहां से हटाकर पार्टी प्रमुख के निवास पर स्थानांतरित करना पड़ा।’’
पार्टी कार्यालय कहीं और शिफ्ट करने की गुहार
इस दौरान उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "साथ ही, इस असुरक्षा को देखते हुए सुरक्षा सुझाव पर पार्टी प्रमुख को अब पार्टी की अधिकतर बैठकें अपने निवास पर करने को मजबूर होना पड़ रहा है, जबकि पार्टी दफ्तर में होने वाली बड़ी बैठकों में पार्टी प्रमुख के पहुंचने पर वहां पुल पर सुरक्षाकर्मियों की अतिरिक्त तैनाती करनी पड़ती है।’’ उन्होंने कहा, "ऐसे हालात में बसपा उत्तर प्रदेश सरकार से वर्तमान पार्टी प्रदेश कार्यालय के स्थान पर अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर व्यवस्था करने का भी विशेष अनुरोध करती है, वरना यहां कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है। साथ ही, दलित-विरोधी तत्वों से भी सरकार सख़्ती से निपटे। पार्टी की यह भी मांग है।"
अखिलेश यादव ने किया मायावती पर हमला
मायावती के इस बयान पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मीडिया से बातचीत में मायावती के पुल संबंधी बयान के बारे में पूछे जाने पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, "तो तुड़वा दें... भाजपा से मिले हुए हैं... भाजपा को चिट्ठी लिखकर तुड़वा दें।" उन्होंने कहा, "अगर उनको लगता है कि उनकी सुरक्षा को खतरा हुआ है तो वह भारत सरकार को चिट्ठी लिख दें। भाजपा सरकार में तमाम बुलडोजर हैं और वह बुलडोजर लेकर तुरंत उसे तोड़ डालेंगे। मायावती जी के कहने से अगर यह बात मान ली जाए तो हमें कोई शिकायत नहीं होगी।" पूर्व मुख्यमंत्री ने पुल के बारे में कहा, "यह पुल बनना बहुत जरूरी था क्योंकि उसके बगल में छोटा पुल था और उस पर बहुत जाम लगता था तो यह मांग उठी कि यह पुल बनना चाहिए। सपा की सरकार में दोनों पुल बनाने की अनुमति मांगी गई थी। उस वक्त की केंद्र सरकार ने मौका नहीं दिया था मगर उसके बाद एक पुल स्वीकृत कर दिया गया।"
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