लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति दिन -प्रतिदिन रोचक होती जा रही है। यहां समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेताओं की जुबानी जंग ने ठंड में भी पारा बढ़ा रखा है। दोनों पार्टियों के नेताओं के बयान माहौल में गर्मी ला रहे हैं। अब मामला दोनों पार्टियों के शीर्ष नेताओं तक पहुंच गया है। वाकयुद्ध में तीर सीधे अब आलाकमान से छोड़े जा रहे हैं।
उन्हें बोलने से पहले अपनी गिरेबान में झांकना चाहिए- मायावती
इसी क्रम में अब मायावती ने अखिलेश यादव पर हमला बोला है। उन्होंने सपा प्रमुख को नसीहत देते हुए कहा कि उन्हें बोलने से पहले अपनी गिरेबान में झांकना चाहिए। मायावती ने ट्वीट करते हुए कहा कि अपनी व अपनी सरकार की ख़ासकर दलित-विरोधी रही आदतों, नीतियों एवं कार्यशैली आदि से मजबूर सपा प्रमुख द्वारा बीएसपी पर अनर्गल तंज़ कसने से पहले उन्हें अपने गिरेबान में भी झांकर जरूर देख लेना चाहिए कि उनका दामन भाजपा को बढ़ाने व उनसे मेलजोल के मामले में कितना दाग़दार है।
बसपा प्रमुख ने कहा कि तत्कालीन सपा प्रमुख द्वारा भाजपा को संसदीय चुनाव जीतने से पहले व उपरान्त आर्शीवाद दिए जाने को कौन भुला सकता है। और फिर भाजपा सरकार बनने पर उनके नेतृत्व से सपा नेतृत्व का मिलना-जुलना जनता कैसे भूला सकती है। ऐसे में सपा साम्प्रदायिक ताकतों से लडे़ तो यह उचित होगा।
मायावती और उनकी पार्टी पर भरोसा नहीं किया जा सकता- अखिलेश
बता दें कि कांग्रेस पार्टी चाहती है कि उत्तर प्रदेश में बसपा भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा बने। लेकिन सपा और अखिलेश यादव को यह पसंद नहीं है। वह कई मौकों पर कह भी चुके हैं कि मायावती और उनकी पार्टी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। वह गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव तो लड़ लेंगी लेकिन बाद में पाला बदल सकती हैं।
इसके साथ ही गठबंधन की बैठक में भी सपा नेता इस बात को उठा चुके हैं। लेकिन माना जा रहा है कि गठबंधन के कई नेताओं का मानना है कि मायावती को साथ लाने से दलित वोट अपने पक्ष में लाने में आसानी होगी। लेकिन अभी तक उनका गठबंधन में आना तय नहीं हुआ है, लेकिन अखिलेश यादव को इसकी चिंता सता रही है।