इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह परिसर की अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण कराने की मांग वाली याचिका स्वीकार कर ली है। अदालत इस सर्वेक्षण की निगरानी के लिए एक अधिवक्ता आयुक्त की नियुक्ति पर सहमत हो गई है। अब इसको लेकर ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मथुरा मंदिर-मस्जिद विवाद दशकों पहले मस्जिद समिति और मंदिर के ट्रस्ट के बीच आपसी सहमति से सुलझा लिया गया था।
"एक नया समूह इन विवादों को उठा रहा"
ओवैसी का यह बयान कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के पास स्थित शाही ईदगाह परिसर का अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण कराने की अनुमति देने के इलाहाबाद हाईकोर्ट
के फैसले के बाद आया। इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में किसी का नाम लिए बिना कहा, ‘‘एक नया समूह इन विवादों को उठा रहा है। चाहे वह काशी हो, मथुरा हो या लखनऊ की टीले वाली मस्जिद, यह एक ही समूह है।’’
"आपसी सहमति से सुलझा लिया गया था विवाद"
हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने कहा, ‘‘उपासना स्थल अधिनियम अब भी लागू कानून है। लेकिन इस समूह ने कानून और न्यायिक प्रक्रिया का मजाक बना दिया है। हाई कोर्ट को इस मामले पर 9 जनवरी को सुनवाई करनी थी, तो ऐसी क्या जल्दी थी कि सर्वेक्षण का आदेश देना पड़ा।’’ उन्होंने कहा कि मथुरा मंदिर-मस्जिद विवाद दशकों पहले मस्जिद समिति और मंदिर के ट्रस्ट के बीच आपसी सहमति से सुलझा लिया गया था। कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मुद्दे पर आदेश दूसरा मंदिर-मस्जिद विवाद है जिसमें हाईकोर्ट ने पिछले महीनों में एक सर्वेक्षण को अपनी मंजूरी दी है।
18 दिसंबर को अगली सुनवाई
मथुरा कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में याचिकाकर्ताओं का दावा है कि ऐसे संकेत मिले हैं जो बताते हैं कि यह कभी एक हिंदू मंदिर था। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की अदालत ने कहा कि 18 दिसंबर को अगली सुनवाई में सर्वेक्षण के तौर-तरीकों पर चर्चा की जाएगी।
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