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'गाय को काटने के लिए भेजने वाले कौन हैं, हिंदू ही तो हैं...', मोहन भागवत का छलका दर्द

मोहन भागवत ने कहा कि जैसे घर में तंगी होने पर माता-पिता को बाहर नहीं भेजते, पहले उन्हें भोजन कराकर ही स्वयं भोजन करते हैं, उसी तरह गाय की भी सेवा वैसे ही करना है। यदि हम गऊ को माता कहते हैं तो पुत्र का कर्तव्य तो निभाना ही पड़ेगा।

Reported By : Yogendra Tiwari Edited By : Khushbu Rawal Published on: November 29, 2023 9:41 IST
mohan bhagwat- India TV Hindi
Image Source : PTI मोहन भागवत

मथुरा: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने गौ हत्या को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने गाय की दशा पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि कहा जाता है कि बांग्लादेश में सर्वाधिक गायें काटी जाती हैं। उन्होंने सवाल किया कि लेकिन उन्हें वहां भेजता कौन है? फिर उन्होंने खुद ही जवाब भी दिया कि वे हिन्दुओं के घरों से ही तो वहां पहुंचती हैं, उन्हें वहां ले जाने वाले कौन हैं, हिन्दू ही तो हैं। सभी से गौ सेवा करने का आह्वान करते हुए भागवत ने कहा है कि गाय दुनिया की तमाम समस्याओं का समाधान है।

भागवत मंगलवार को मथुरा के फरह क्षेत्र में स्थित परखम गांव में 70 एकड़ के दायरे में दीनदयाल कामधेनु गौशाला समिति द्वारा 200 करोड़ की लागत से प्रारंभ किए गए दीनदयाल गौ-विज्ञान, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र में प्रथम चरण में निर्मित प्रशासनिक भवन, क्लास रूम और बायोगैस जनरेटर चलित बुनकर केंद्र का लोकार्पण करने पहुंचे थे। 

'गायों को कटने के लिए भेजना क्या एक पुत्र का कर्तव्य है?'

उन्होंने फिर सवाल उठाया, ‘‘हम गाय को माता कहते हैं। गायों को कटने के लिए भेजना क्या एक पुत्र का कर्तव्य है ?’’ उन्होंने जवाब भी दिया, ‘‘नहीं, हम गाय की सेवा करेंगे। हम अपनी गाय को ऐसे नहीं जाने देंगे। हम सदा उसे अपने पास रखेंगे। मरने के बाद उसका सींग भी हमारे काम आता है। उसकी खाल भी काम आती है। वह मृत्युपर्यंत भी हमारी सेवा करती है तो हम जीवित रहते हुए उसकी सेवा क्यों नहीं कर सकते।’’

मोहन भागवत ने और क्या कहा?

संघ प्रमुख ने कहा , ‘‘गाय के बारे में हमने पूर्वजों से जाना, जिन्होंने स्वयं अनुभव कर यह ज्ञान प्राप्त किया। लेकिन अब दुनिया को बताने के लिए हमें उनकी ही भाषा में उनके ही मानकों के अनुसार गाय के बारे में अर्जित ज्ञान बताना होगा। यह संस्थान यही काम करेगा। यहां गाय के बारे में विभिन्न प्रकार से शोध कर प्रामाणिक जानकारी एकत्र करेगा।’’ उन्होंने कहा कि जैसे घर में तंगी होने पर माता-पिता को बाहर नहीं भेजते, पहले उन्हें भोजन कराकर ही स्वयं भोजन करते हैं, उसी तरह गाय की भी सेवा वैसे ही करना है। यदि हम गऊ को माता कहते हैं तो पुत्र का कर्तव्य तो निभाना ही पड़ेगा।’’

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