Kumbh Mela 2025: महाकुंभ की औपचारिक शुरुआत होने में कुछ ही समय बचा है। इस बीच राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मनोरमा ने इंडिया टीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत की है। उन्होंने महाकुंभ के महत्व और राजधर्म के बारे में विस्तार से बात की।
महाकुंभ का महत्व क्या है?
राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मनोरमा ने कहा कि जब समुद्र मंथन हुआ और अमृत निकला तो उस अमृत का वितरण भगवान विष्णु ने नारी रूप रखकर किया। देवों और दैत्यों ने मिलकर ये तय किया कि ये नारी रूप ही अमृत बांटेगा। इस दौरान अमृत कलश लेने के लिए देवों की पंक्ति में दैत्य आकर बैठ गए, जिन्हें राहु और केतु कहा गया।
राजयोगिनी ने बताया कि उस वक्त देवों और दैत्यों में आपस में संघर्ष हुआ और जब वो कलश को लेकर भागे तो अमृत कलश छलक गया और चार जगह इसकी बूंदें गिरीं। यही इस कुंभ को उजागर करता है। गंगा का पावन तट, त्रिवेणी उनमें से एक है। ये जगहें उज्जैन, नासिक, हरिद्वार और प्रयागराज हैं।
राजयोगिनी ने बताया कि गंगा को जब धरती पर उतारा गया तो ये कहा गया कि इसमें संत स्नान करेंगे तो गंगा की पावनता बनी रहेगी। इसी दौरान मानव भी ये सोचता है कि गंगा इस समय पावन है, हम भी इसमें नहाकर अपना भाग्य बना लें।
राजयोगिनी ने कहा कि जहां जहां अमृत कलश रखा, वहां वहां कुंभ है। गंगा को धरती पर मानवता के लिए उतारा गया।
विभाजन के पीछे कुछ लोगों का अपना स्वार्थ: राजयोगिनी
राजयोगिनी ने कहा कि हमारे धर्म में किसी को भी सताने की आज्ञा नहीं है। किसी भी चीज पर बंदिश नहीं, जागरूकता बढ़ाएं। स्वार्थ के चलते विभाजन के हालात बनते हैं। विभाजन के पीछे कुछ लोगों का अपना स्वार्थ होता है।
उन्होंने कहा कि मनुष्य से नहीं, उसकी हिडन पॉलिसी से समस्याएं हैं। इतिहास स्वयं को फिर से दोहराता है। मोदी और योगी जी, दोनों एक धरातल पर खड़े हैं। वह निर्भीक हैं और उनका लक्ष्य एक है।