प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारियां जोरों-शोरों से की जा रही हैं। करोड़ों लोगों के प्रयागराज के महाकुंभ में आने की संभावना जताई जा रही है। इस बीच महाकुंभ में साधु-संतों और श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगने लगा है। सभी साधु अपने आप में अनोखे हैं और चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। वहीं जापान से महाकुंभ में आईं योगमाता कीको ऐकावा के नाम पर भी खूब चर्चा हो रही है। बता दें कि योगमाता कीको ऐकावा पहली महिला सिद्ध गुरु और शांति आध्यात्मिकता की प्रतीक हैं। महाकुंभ में उनकी उपस्थिति महायोग पायलट बाबा की विरासत के आगे ला जाने का काम कर रही है।
महाकुंभ में पहुंची योगमाता कीको ऐकावा
बता दें कि अगस्त 2024 में महायोगी पायलट बाबा ने महासमाधि ले ली थी। इसके बाद योगमाता कीको ऐकावना ने उनके आध्यात्मिक मिशन की जिम्मेदारी को संभाला और उसे आगे बढ़ाने का काम किया। उनकी यौगिक चेतना के कारण दुनियाभर में उन्हें अद्वितीय उपलब्धि मिली है। अगर उनकी उपलब्धियों की बात करें तो वह पहली महिला हैं जिन्होंने 96 घंटे तक बंद भूमिगत कक्ष में सार्वजनिक समाधि धारण की। साल 2007 में जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर के रूप में उनके उत्थान ने वैश्विक ख्याति के आध्यात्मिक नेता के रूप में उनकी पहचान को विकसित किया।
पीएम नरेंद्र मोदी से योगमाता की मुलाकात
बता दें कि ऐसे कई मौके रहें जब योगमाता कोकी ऐकावा और पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात की भी हुई। संयुक्त राष्ट्र में साल 2023 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी को उनका आशीर्वाद मिला और साल 2016 में भी पीएम नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने भारत और जापान के बीच सामंजस्यपूर्ण रिश्ते के लिए प्रार्थना की। महाकुंभ 2025 में योगमाता की उपस्थिति आध्यात्मिक मार्गदर्शन का प्रतीक है। वह महाकुंभ में ध्यान सत्रों का आयोजन व उनका नेतृत्व करेंगी। इसके अलावा भक्तों व श्रद्धालुओं के साथ हिमालयी सिद्ध परंपरा की शिक्षाओं का भी प्रचार-प्रसार करेंगी।