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महाकुंभ में भूले भटकों को रास्ता दिखाते, बिछड़ों को मिलाते बिजली के खंभे; जानें कैसे

महाकुंभ में बिजली के खंभे भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। डिजिटल महाकुंभ के तहत पूरे मेला क्षेत्र में 50,000 बिजली के खंभों में क्यूआर कोड लगाए गए हैं जिन्हें कोई भी व्यक्ति मोबाइल से स्कैन करके अपनी भौगोलिक स्थिति जान सकता है।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Jan 15, 2025 20:32 IST, Updated : Jan 15, 2025 20:32 IST
mahakumbh mela
Image Source : PTI महाकुंभ मेला

प्रयागराज: महाकुंभ मेले में भूले भटकों को मिलाने के लिए भूले-भटके कैंप लगाए जाते रहे हैं और इस बार तो महाकुंभ मेले में डिजिटल भूले-भटके कैंप भी लगे हैं। लेकिन, बिछड़े लोगों को मिलाने और भटके हुए लोगों को रास्ता दिखाने में बिजली के खंभे भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। बिजली विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि डिजिटल महाकुंभ के तहत पूरे मेला क्षेत्र में 50,000 बिजली के खंभों में क्यूआर कोड लगाए गए हैं जिन्हें कोई भी व्यक्ति मोबाइल से स्कैन करके अपनी भौगोलिक स्थिति जान सकता है।

बिजली विभाग के कंट्रोल रूम ने ऐसे की मदद

'पीटीआई-भाषा' ने इस क्यूआर कोड का भौतिक परीक्षण करने के लिए एक खंभे पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन किया तो एक फॉर्म सामने आ गया जिसमें नाम, मोबाइल नंबर और खंभे पर लिखी संख्या 28126 भरकर उसे सबमिट (जमा) कर दिया। इसके एक ही मिनट के भीतर बिजली विभाग से फोन आ गया। फोन पर बिजली विभाग के कंट्रोल रूम से चंद्रप्रकाश नाम के व्यक्ति ने पूछा, “मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं।” इधर से जवाब दिया गया, “मैं रास्ता भटक गया हूं और मुझे मेला प्रशासन कार्यालय जाना है, कैसे जाऊं।” विभाग के व्यक्ति ने बताया, “आप इस समय संगम लोअर मार्ग पर सेक्टर-16 में हैं। मेला कार्यालय जाने के लिए आपको त्रिवेणी मार्ग पर आना होगा जहां से पांटून का पुल पार करके आप त्रिवेणी ढाल पर आ जाएं और वहां से सीधे मेला कार्यालय पहुंच जाएं।”

खंभ ने बिछड़े पिता को बेटे से मिलवाया

बिजली विभाग के कंट्रोल रूम में बतौर सुपरवाइजर कार्यरत विकास चौहान ने बताया कि पोल नंबर, क्यूआर कोड और जी कोड के माध्यम से लोग अन्य समस्याओं जैसे कहीं पानी नहीं आने की समस्या, सड़क पर बिछी शीट उखड़ने की समस्या का भी निराकरण कर रहे हैं। चौहान ने बताया कि मंगलवार को मकर संक्रांति स्नान पर्व पर चंडीगढ़ से आए मोहित के पिता उनसे बिछड़ गए। बेटे ने पिता से किसी व्यक्ति के माध्यम से पोल संख्या पूछ ली और विभाग से पोल संख्या साझा कर भौगोलिक स्थिति पता करके अपने पिता को ढूंढ लिया।

उन्होंने बताया कि विभाग ने ये डेटा डायल 112 और डायल 1920 के साथ भी साझा किए हैं और अन्य समस्याओं के बारे में आई शिकायत संबंधित विभाग के पास भेज दी जाती है और विभाग पोल संख्या की मदद से मौके पर पहुंचकर समस्या का निराकरण कर रहे हैं। बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता (कुंभ) मनोज गुप्ता ने बताया कि जीआईएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) की मदद से इस क्यूआर कोड को स्कैन कर कोई भी व्यक्ति अपनी या दूसरों की भौगोलिक स्थिति का पता लगा सकता है।

हजारों लोग बिछड़े और फिर मिले

उन्होंने बताया कि मंगलवार को प्रथम अमृत स्नान पर्व पर 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में आस्था की डुबकी लगाई। इसमें हजारों लोग बिछड़े और फिर मिले होंगे। कितने लोग अपनों से बिछड़े और मिले, इसकी संख्या हमारे पास नहीं है क्योंकि कई लोगों ने क्यूआर कोड के नीचे लिखे जी-कोड को गूगल पर सर्च कर भौगोलिक स्थिति का पता लगा लिया होगा। (रिपोर्ट- भाषा)

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